सर्किल रेट से भी कम में हुआ भूमि का सौदा, दिल्ली व बिहार के लोगों की नजर

घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा गांव में जिस 148 बीघा भूमि के लिए इतना बड़ा नरसंहार हुआ उसमें रुपये के लेन-देन को लेकर भी बड़ा खेल हुआ है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 22 Jul 2019 08:07 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jul 2019 10:02 AM (IST)
सर्किल रेट से भी कम में हुआ भूमि का सौदा, दिल्ली व बिहार के लोगों की नजर
सर्किल रेट से भी कम में हुआ भूमि का सौदा, दिल्ली व बिहार के लोगों की नजर

सोनभद्र, जेएनएन। घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा गांव में जिस 148 बीघा भूमि के लिए इतना बड़ा नरसंहार हुआ उसमें रुपये के लेन-देन को लेकर भी बड़ा खेल हुआ है। यहां सर्किल रेट से भी कम में सौदा हुआ। करोड़ों रुपये वाली भूमि का सौदा दो करोड़ तक में करके राजस्व की भी चोरी की गई है। यह सबकुछ दिल्ली व बिहार बैठे तथाकथित लोगों के दबाव की वजह से होना बताया जा रहा है।

 सूत्रों के अनुसार जिस भूमि के लिए इतना बड़ा नरसंहार हुआ वह जमीन करीब दो करोड़ तक में एक आइएएस परिवार से ग्राम प्रधान ने खरीदी थी। ग्रामीणों  का कहना है कि मूर्तिया ग्राम पंचायत के उभ्भा में करीब 1940 से ही वहां के आदिवासी जमीन पर काबिज थे। वे जोताई-बोआई कर रहे थे। इसी बीच 17 दिसंबर 1955 को बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी महेश्वरी प्रसाद नारायण सिन्हा ने एक आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी बनाकर यहां की जमीन को सोसाइटी के नाम करा लिया। जबकि यह नियम विरुद्ध था। आरोप है कि महेश्वरी प्रसाद नारायण सिन्हा उस समय के तहसीलदार को प्रभाव में लेकर 639 बीघा जमीन सोसाइटी के नाम करा लिए। बाद में महेश्वरी ने अपने आइएएस दामाद के संपर्क से पुन: तहसीलदार को प्रभाव में लिया, और सोसाइटी की 37.022 हेक्टेयर यानि करीब 148 बीघा जमीन अपनी बेटी आशा मिश्रा पत्नी प्रभात कुमार मिश्र निवासी न्यू बेरिंग कैनाल रोड पटना बिहार के नाम करा दिया। इतना ही नहीं इसी जमीन को बाद में आशा मिश्रा की पुत्री विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमार पत्नी भानू प्रसाद (आइएएस) निवासी भागलपुर के नाम करा दिया गया। इसके बाद गांव के लोग जमीन पर जोताई-बोआई करते और जमीन में होने वाली ऊपज का पैसा आइएएस परिवार को पहुंचाते रहे। 17 अक्टूबर 2017 को विनिता शर्मा ने जमीन को गांव के प्रधान को बेच दिया। जमीन कितने में बेची गई यह तो पता नहीं चला लेकिन कुछ ग्रामीण बताते हैं कि चालीस हजार रुपये बीघा यानि करीब साठ लाख रुपये में सौदा हुआ। कुछ लोग यह सौदा दो करोड़ रुपये का बताते हैं, जबकि उभ्भा में जमीन की सामान्य कीमत करीब चार लाख बीघा यानि छह करोड़ रुपये की कुल जमीन थी। सर्किल रेट भी देखें तो आठ लाख रुपये प्रति हेक्टेयर यानि करीब तीन करोड़ रुपये का था लेकिन दबाव की वजह से काफी गोलमाल किया गया।

बोले अधिकारी

विवादित भूमि के खरीद-फरोख्त के मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि जमीन का सौदा कितने में हुआ था, यह भी देखा जा रहा है कि क्या सर्किल रेट के नियम का उल्लंघन किया गया था।

-अंकित अग्रवाल, जिलाधिकारी

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