यूपी में खेला होबे : पूर्वी उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस ने कमलापति त्रिपाठी के कुनबे के जरिए बिछायी सियासी बिसात
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद पीएम के संसदीय क्षेत्र से टीएमसी द्वारा यूपी विधानसभा चुनाव में चुनौती पेश करने की तैयारी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी ने ट्वीट करते हुए टीएमसी से जुडने की जानकारी दो तस्वीरें ममता बनर्जी के साथ शेयर करते हुए लिखा है- खेला होबे।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से टीएमसी द्वारा यूपी विधानसभा चुनाव में चुनौती पेश करने की तैयारी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी ने ट्वीट करते हुए टीएमसी से जुडने की जानकारी दो तस्वीरें ममता बनर्जी के साथ शेयर करते हुए लिखा है- खेला होबे।
कभी कांग्रेस के थिंक टैंक माने जाते रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. कमलापति त्रिपाठी समेत पूरा कुनबा इस पार्टी के लिए समर्पित था। पूर्वांचल में तो दोनों एक दूसरे के पर्याय कहे जाते थे। पीढियां बदलीं, लेकिन त्रिपाठी परिवार का दखल व दावेदारी हमेशा बनी रही। उसी कुनबे की तीसरी-चौथी पीढ़ी ने मुंह मोड़ने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पिता-पुत्र पूर्व विधायक राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित मिनी सचिवालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। साथ ही टीएमसी में शामिल हो गए। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदस्यता ग्रहण कराई।
ललितेश पति त्रिपाठी ने ट्वीट कर लिखा है कि - 'शांति और प्रेम की विचारधारा हमें विरासत में मिली है, जो समभाव के संस्कार हमें दिए गए हैं, उनसे बिना समझौता किए जनसेवा में स्वयं को समर्पित कर समाज की प्रगतिशीलता सुनिश्चित करना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आदरणीय ममता बनर्जी जी के नेतृत्व में ही संभव है। खेला होबे!''
ललितेशपति त्रिपाठी के कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद से सियासी गलियारों में चर्चा रही कि वह भाजपा या सपा से जुड़ सकते हैं। पत्रकार वार्ता के दौरान भी उन्होंने संकेत दिया था कि अब यूपी में नई कांग्रेस बनाऊंगा। अब टीएमसी से जुड़ने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया है। एक दौर में काशी के औरंगाबाद हाउस से ही यूपी और दिल्ली कांग्रेस की नीतियां तय होती थी। पं. कमलापति त्रिपाठी गांधी परिवार के सबसे करीबी माने जाते थे। पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र भी औरंगाबाद हाउस हुआ करता था। इधर कुछ दिनों से कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने औरंगाबाद हाउस को तवज्जो देना कम कर दिया था। इससे राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी नाराज चल रहे थे।
प्रियंका गांधी वाड्रा के भी औरंगाबाद हाउस जाने की थी चर्चा
इस्तीफे के बाद गत दस अक्टूबर को किसान न्याय रैली के लिए काशी आई प्रियंका गांधी वाड्रा के भी औरंगाबाद हाउस जाने की चर्चा थी, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रोटोकाल बनते वक्त उन्होंने यह कार्यक्रम को स्थगित कर दिया था। लगभग एक सप्ताह पूर्व दिल्ली में राजेशपति त्रिपाठी ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मुलाकात करने की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने मुलाकात करने से मना कर दिया था।
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा
टीएमसी में शामिल होने के साथ ललितेश पति त्रिपाठी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा रही। हालांकि परिवारीजनों ने इससे फिलहाल इन्कार किया। सोमेशपति त्रिपाठी ने कहा मंगलवार को राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी बनारस आ सकते हैं। इसके बाद ही आगे की योजना की जानकारी मिल सकेगी। उधर, ललितेशपति से फोन पर बातचीत करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन नहीं उठा।