Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : काशी विद्वत् परिषद ने माना बेहद शुभ संयोग में आया है राम मंदिर पर फैसला

शुक्ल पक्ष की एकादशी पर श्रीहरि चार माह की योग निद्रा से जागे और द्वादशी तिथि को उनके ही अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर को लेकर फैसला बेहद शुभ संयोग में हुआ।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 10 Nov 2019 05:16 PM (IST) Updated:Sun, 10 Nov 2019 05:31 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : काशी विद्वत् परिषद ने माना बेहद शुभ संयोग में आया है राम मंदिर पर फैसला
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : काशी विद्वत् परिषद ने माना बेहद शुभ संयोग में आया है राम मंदिर पर फैसला

वाराणसी, जेएनएन। राम राम महाबाहो श्रृणुगुह्यं सनातनम्। येन सर्वानरीन वत्स समरे विजयिष्यसे।। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के पंच परमेश्वर द्वारा दिया गया निर्णय भारत के हर नागरिक को सादर स्वीकार्य है। इससे भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति मजबूत हुई है। भारतवासियों ने विश्व को एका का नया संदेश भी समर्पित किया है। अब इंतजार है प्रेम और सौहार्द्र के भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण आरंभ का जब लोग अयोध्या में प्रभु श्रीराम की अद्भुत झांकी का दर्शन करें।

कार्तिक मास श्रीहरि को समर्पित है। शुक्ल पक्ष की एकादशी पर श्रीहरि चार माह की योग निद्रा से जागे और द्वादशी तिथि को उनके ही अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर को लेकर फैसला बेहद शुभ संयोग में हुआ। पुराणादि शास्त्रों में कार्तिक मास का विशेष महत्व निर्दिष्ट है। कहा गया है मासानां कार्तिक : श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन:, तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ। भाव यह है कि भगवान् विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है। कल्याणकारी मास कार्तिक का महात्म्य पद्म पुराण और स्कंद पुराण में विस्तार से बताया गया है। 

खास यह हर्षण यानी हर्ष देने वाले योग में फैसला आया। कामदेव के पांच बाणों में एक का नाम हर्षण भी है। इस योग में किया गया कार्य हर्षपूर्वक सम्पन्न होता है। नक्षत्र उत्तराभाद्रपद में स्थिर कार्य, कृषि कर्म, वापी, कूप, मंदिर आदि का निर्माण, तथा मैत्री संबंध जोडऩा शुभ होता है। धनु लग्न में फैसला आना भी सुखद है। द्वादशी तिथि के स्वामी विष्णु हैं। इस तिथि में सभी प्रकार के चर एवं स्थिर कार्य शुभ होते हैं।

-डा. रामनारायण द्विवेदी, एसोसिएट प्रोफेसर व्याकरण विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं महामंत्री काशी विद्वत् परिषद। 

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