जागरण विमर्श : वाराणसी में धरोहरों का मूल स्वरूप बरकरार रखते हुए हो रहा नियोजित विकास

सांस्कृतिक आध्यात्मिक नगरी काशी के विकास को लेकर वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने स्पष्ट किया कि नियोजित विकास को लेकर बनाए जा रहे ब्लू प्रिंट में ऐतिहासिक धरोहरों के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 10:03 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 10:03 PM (IST)
जागरण विमर्श : वाराणसी में धरोहरों का मूल स्वरूप बरकरार रखते हुए हो रहा नियोजित विकास
वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन

जागरण संवाददाता, वाराणसी। सांस्कृतिक, आध्यात्मिक नगरी काशी के विकास को लेकर वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने स्पष्ट किया कि नियोजित विकास को लेकर बनाए जा रहे ब्लू प्रिंट में ऐतिहासिक धरोहरों के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। गंगा किनारे के पक्के महाल की गलियों को ही नजीर के तौर पर देखा जा सकता है। इसमें बिना कोई छेड़छाड़ किए मूलभूत सुविधाओं को नए सिरे से विकसित कर वहां के रहनवारों को स्मार्ट सुविधाएं दी जा रही हैं। यह समझ लें कि जो भी प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं उसमें धरोहरों की विरासत का संरक्षण करने के साथ ही आसपास समुचित विकास किया जा रहा है। इसके मूल में स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने के साथ ही जनसंख्या नियोजन है।

नदेसर स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में सोमवार को आयोजित शैक्षणिक बैठक में शिरकत करते हुए उपाध्यक्ष ने माना कि बनारस में अनियोजित विकास ने समस्याएं बढ़ाई हैं। इसके लिए संबंधित विभागों के स्तर पर अनदेखी के साथ ही जनता के जागरूक नहीं होने को भी जिम्मेदार ठहराया। बिना संकोच कहा कि बिना ले-आउट पास कालोनियों में जो भी घर बनाएगा उसे मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना होगा। बताया कि ले-आउट पास कालोनियों से जो वीडीए को राजस्व मिलता है उसमें 90 फीसद रकम अवस्थापना निधि में चला जाता है जो सुविधाएं अवस्थापित करने में खर्च होते हैं।

बिना परेशानी कराएं नक्शा पास

वीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि भवनों का नक्शा पास कराने में जैसी परेशानी पूर्व में होती थी वह अब नहीं रही। आनलाइन व्यवस्था होने से हाथों-हाथ एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिल रहे हैं। जो साफ्टवेयर बनाया गया है उससे व्यवस्था पारदर्शी हुई है। पहले चरण में साफ्टवेयर ही दाखिल नक्शे की खामियों को उल्लेखित करते हुए आवेदक को बता देता है। दूसरे चरण में वीडीए के तकनीकी विशेषज्ञ नक्शा स्वीकृति के लिए जरूरी मानकों को पूरा कराते हैं। यूं समझें कि सभी प्रक्रियाएं पूरी कर 30 दिनों के अंदर नक्शा स्वीकृत हो रहा है। स्पष्ट किया कि यह टाइम लाइन निवेशकों के लिए महज 10 दिन है। कहा कि नक्शा के लिए वीडीए दफ्तर का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। आनलाइन ही स्क्रूटनी करते हुए अद्यतन स्थित की जानकारी घर बैठे ही मिल रही है। इसके अलावा वार्डवार भी लोगों के घर के पास कैंप भी लगाया जा रहा है। इसका फायदा भी हुआ। बीते तीन-चार महीने में सैकड़ों नक्शा पास हुए जिससे वीडीए को करोड़ों का राजस्व भी मिला। उन्होंने माना कि भवन निर्माण से पहले नक्शा स्वीकृति के लिए लोग जागरूक हुए हैं लेकिन शतप्रतिशत नहीं हुआ है जिसको लक्ष्य बनाकर वीडीए एक-एक कदम बढ़ा रहा है।

जल्द ही शमन नक्शा भी आनलाइन

ईशा दुहन ने बताया कि जिन लोगों ने भूलवश बिना नक्शा पास कराए भवन निर्माण करा लिया है तो उनको चिंता करने की जरूरत नहीं है। शमन शुक्ल जमा कर निर्मित भवन का भी नक्शा पास करा सकते हैं। हालांकि, वर्तमान में यह व्यवस्था आफलाइन की गई है जिसे जन सुविधाओं को देखते हुए अविलंब आनलाइन किया जाएगा। इस दिशा में काम चल रहा है।

रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम पर बल

वीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर बल दिया जा रहा है। तीन सौ वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में प्रस्तावित भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना नक्शे में प्रविधानित किया गया है जिसको लेकर सख्ती भी हुई है। वहीं, जिन सरकारी भवनों में यह सिस्टम काम नहीं कर रहा था उन्हें दुरुस्त कराया जा रहा है और जहां स्थापित नहीं हैं वहां पर नए सिरे से सिस्टम लगाने की कवायद होगी। इसके लिए दक्ष कंपनियों से अनुबंध की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा नगर के कुंड व तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

मास्टर प्लान में हो रहा संशोधन

ईशा दुहन ने कहा कि मास्टर प्लान में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है। इसमें नए प्रोजेक्ट शामिल किए जा रहे हैं। इसके अलावा बाढ़ क्षेत्र में भी बंधा की तरह सड़कें बनाकर मिश्रित भू-उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर गंगा उसपार को लिया जा सकता है। सड़क का निर्माण ऐसे हो रहा है कि बाढ़ का पानी डोमरी, सूजाबाद समेत अन्य इलाकों में ने जा सके। ऐसा होने पर इस इलाके में भू-उपयोगिता बदलेगी और भवन निर्माण समेत जनसंख्या नियोजन के कई विकास कार्य कराने के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। गंगा किनारे दो सौ मीटर में नव निर्माण पर रोक हाइकोर्ट से लगी है। हालांकि, पुराने मकानों की मरम्मत के लिए वीडीए स्वीकृति दे रहा है।

वीडीए विकसित करेगा कालोनियां

ईशा दुहन ने कहा कि वीडीए कालोनियां विकसित करेगा। टाउनशिप बसाएगा। इसके लिए लैंड बैंक को समृद्ध करने की कवायद तेज हुई है। बाबतपुर, रामनगर, मोहन सराय इलाके में जमीनों की तलाश हुई है। किसानों से वार्ता जारी है। उन्होंने माना कि बीते वर्षों में लैंड बैंक के लिए कार्य नहीं हुआ जिसका परिणाम है कि अनियोजित विकास को बल मिला। कहा कि किसानों व खरीदारों को झांसे में रखकर बिल्डर अनियोजित तरीके से कालोनियां बसाकर मोटी कमाई में लगे हैं जिन पर सख्त कार्रवाई भी जारी है।

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