कोरोना संक्रमण काल में गुड़ बना सेहत का कवच, बरसात के मौसम के कारण व्यापारी नहीं मंगा रहे माल

कोरोना संक्रमण काल में गुड़ बना सेहत का कवच बरसात के मौसम के कारण व्यापारी नहीं मंगा रहे माल।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 12:58 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 12:58 PM (IST)
कोरोना संक्रमण काल में गुड़ बना सेहत का कवच, बरसात के मौसम के कारण व्यापारी नहीं मंगा रहे माल
कोरोना संक्रमण काल में गुड़ बना सेहत का कवच, बरसात के मौसम के कारण व्यापारी नहीं मंगा रहे माल

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी के कारण इन दिनों लगभग सभी घरों में सुबह और शाम कोचाय की जगह लोग काढ़े का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बाजार में गुड़ की मांग में इजाफा देखा जा रहा है। हालांकि व्यापारियों का कहना है कि इस समय बरसात के कारण बाहर से माल नहीं मंगा रहे हैं। बचे हुए स्टॉक को बेचा जा रहा है। वर्तमान में साधारण गुड़ का भाव 43-45 सौ रुपये प्रति क्विंटल है। विश्वेश्वरगंज के थोक कारोबारी गुड्डू ने बताया कि यहां सभी व्यापारी अकबरपुर से माल मंगाते हैं। इन दिनों बरसात के कारण माल नहीं मंगा रहे हैं। कारण कि हवा और नमी से गुड़ गलने लगता है। हालांकि मंडी में गुड़ की पर्याप्त उपलब्धता है। 

देसी गुड़ की खूब है मांग

चिकित्सकों के मुताबिक काढ़े में देसी गुड़ का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। जिससे फुटकर दुकानों पर ज्यादातर ग्राहक देसी गुड़ खोज रहे हैं। व्यापारियों ने बताया कि आजकल आधुनिकता के दौर में देसी गुड़ 20 किलो के कार्टून में आ रहा है। जो पहले बोरे में आता था। इस समय फुटकर में भाव 50-55 रुपये प्रति किलोग्राम है। व्यापारियों का कहना है कि इसका थोक भाव 4800 रुपये प्रति क्विंटल है। देसी गुड़ हापुड़ व लखीमपुर खीरी से आता है। 


काढ़े में खूब हो रहा गुड़ का प्रयोग

कोरोना काल में ऐसा कोई घरेलू नुस्खा नहीं है जो लोग न आजमा रहे हों। इस कड़ी में लोगों का गुड़ के प्रति भरोसा और मजबूत होता जा रहा है। गले में खराश और सांस से जुड़ी तकलीफ दूर करने के लिए गुड़ का इस्तेमाल कारगर साबित हो रहा है। आयुर्वेद और एलोपैथ के सभी चिकित्सक कोरोना से बचने के लिए काढ़े के इस्तेमाल की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में आसानी से मिलने वाले गुड़ की खपत आम घरों में भी अब बढ़ गई है।

chat bot
आपका साथी