दीक्षा समारोह : मेडल में पिछड़ गई आधी आबादी, 85.97 फीसद छात्रों के मुकाबले महज 14.03 फीसद छात्राओं को पदक

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में मंच से मेडल प्राप्त करने में आधी आबादी पूरी तरह पिछड़ गई है। वैदिक शिक्षा के लिए विवि में दोनों की संख्या लगभग बराबर है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 04:38 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 04:38 PM (IST)
दीक्षा समारोह : मेडल में पिछड़ गई आधी आबादी, 85.97 फीसद छात्रों के मुकाबले महज 14.03 फीसद छात्राओं को पदक
दीक्षा समारोह : मेडल में पिछड़ गई आधी आबादी, 85.97 फीसद छात्रों के मुकाबले महज 14.03 फीसद छात्राओं को पदक

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में मंच से मेडल प्राप्त करने में आधी आबादी पूरी तरह पिछड़ गई है। वैदिक शिक्षा के लिए विवि में दोनों की संख्या लगभग बराबर है। बावजूद इसके इस वर्ष महज 14.03 फीसद छात्राओं को ही मेडल मिलेगा, जबकि 85.97 फीसद छात्रों ने पदक तालिका में स्थान बनाया है।

विश्वविद्यालय का 37वां दीक्षा समारोह गुरुवार, पांच दिसंबर को ऐतिहासिक मुख्य भवन में सुबह 11 बजे से आयोजित होगा। इसकी अध्यक्षता बतौर कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी, जबकि बतौर मुख्य अतिथि यूजीसी के उपाध्यक्ष डा. भूषण पटवद्र्धन उपस्थित होंगे। दीक्षा महोत्सव में 32 मेधावी कुल 57 मेडल से विभूषित किए जाएंगे। इनमें 49 छात्र व आठ छात्राएं शामिल हैं। आचार्य कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले स्वामी अद्भुत वल्लभदास को 10 स्वर्ण, हरिओम शर्मा को पांच स्वर्ण, राहुल कुमार पांडेय को चार स्वर्ण, प्रकाश पांडेय को तीन स्वर्ण, टीका देवी को दो स्वर्ण व सुमन तिवारी को एक स्वर्ण एवं एक रजत से नवाजा जाएगा। वहीं प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री, आचार्य, शिक्षा शास्त्री, पुरातत्व एवं संग्रहालय, पत्रकारिता एवं जनसंचार विज्ञान स्नातकोत्तर, ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान शास्त्री, संस्कृत प्रमाण पत्रीय, विद्यावारिधि एवं विद्या वाचस्पति के कुल 22726 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जाएगी। इनमें 11936 छात्र व 10790 छात्राएं सम्मिलित हैं।

स्वामी शरणानंद को महामहोपाध्याय की उपाधि

विवि के योग साधना केंद्र में बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने बताया कि विलक्षण संत स्वामी शरणानंद महाराज को समारोह में 'महामहोपाध्याय' की उपाधि से विभूषित किया जाएगा। यह उपाधि करीब तीन दशक के बाद किसी को प्रदान की जा रही है। वहीं संस्कृत भाषा के पुनर्जागरण के लिए संस्कृत भारती के संस्थापक पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री को डी. लिट की उपाधि प्रदान की जाएगी।

शाम को सांस्कृतिक संध्या

कुलसचिव राजबहादुर ने बताया कि दीक्षा महोत्सव के क्रम में गुरुवार की शाम को ऐतिहासिक मुख्य भवन में शाम पांच बजे से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है। इसमें बेंग्लुरु की श्रुति भट्ट एवं वाराणसी की डा. आर्चना मह्स्कर का गायन होगा।

शिष्ट यात्रा का जमकर हुआ पूर्वाभ्यास

दोपहर बाद दीक्षा समारोह का पूर्वाभ्यास किया गया। राष्ट्रगान, वैदिक, पौराणिक मंगलाचारण एवं संगीत विभाग द्वारा कुलगीत आदि के बाद स्नातकोपस्थापन किया गया, जिसमें कुलाधिपति के रूप में प्रो. सदानंद शुक्ल थे। दीक्षा महोत्सव के पूर्वाभ्यास शिष्ट यात्रा के साथ शुरू हुआ, जिसमें कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल, प्रो. देवी प्रसाद, प्रो. महेंद्र नाथ, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. केसी दुबे, प्रो. आशुतोष मिश्र, प्रो. शैलेश कुमार मिश्र, प्रो. राजनाथ, कुलसचिव राजबहादुर सहित विद्या परिषद सदस्य, कार्यपरिषद सदस्य, संकायाध्यक्ष आदि रहे।

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