रेलवे में सुरक्षा को लेकर नई तकनीक, ट्रेनों को बेपटरी होने से बचाएगी लेजर लाइट

लेजर की किरणें जैसे ही ट्रेन के पहिए पर पड़ती है कोड के माध्यम से पहिए का तापमान व अन्य तकनीकी जानकारी उपकरण की स्क्रीन पर दर्ज हो जाती है।

By Edited By: Publish:Fri, 19 Jul 2019 01:58 AM (IST) Updated:Fri, 19 Jul 2019 09:38 AM (IST)
रेलवे में सुरक्षा को लेकर नई तकनीक, ट्रेनों को बेपटरी होने से बचाएगी लेजर लाइट
रेलवे में सुरक्षा को लेकर नई तकनीक, ट्रेनों को बेपटरी होने से बचाएगी लेजर लाइट

वाराणसी, जेएनएन। रेलवे में सुरक्षा को लेकर नई-नई तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें से एक है हॉट एक्सल डिटेक्टर बॉक्स जो इंफ्रारेड लेजर लाइट की मदद से ट्रेनों के पहियों का तापमान सहित अन्य खराबी जांच लेता है। इस तकनीक की मदद से पहियों में ब्रेक जाम होने की समस्या से भी निजात मिलेगी। रेल अफसरों के मुताबिक ट्रेनों के बेपटरी होने का सामान्य कारण हॉट एक्सल या ब्रेक जाम ही होता है।

इस तकनीक को आइआइटी कानपुर ने तैयार किया था जिसे बाद में आरडीएसओ लखनऊ ने परीक्षण कर इस्तेमाल की हरी झंडी दे दी। लेजर किरणें जैसे ही ट्रेन के पहिए पर पड़ती है कोड के माध्यम से पहिए का तापमान व अन्य तकनीकी जानकारी उपकरण की स्क्रीन पर दर्ज हो जाती है। इससे पहले पहिए की जांच रेल कर्मी अपने तजुर्बे के आधार पर करते थे। पहिए और पटरी से उठने वाली आवाज और रंग पहिए की हालत बयान करते थे।

-ऐसे करता है काम डिटेक्टर लेजर पटरियों पर लगा दिया जाता है। ट्रेन आने का सिग्नल होते ही उपकरण सक्रिय हो जाता है। सभी रेल पहियों की जानकारी पास के स्टेशन पर लगे डाटा लॉगर में दर्ज हो जाती है। ट्रेन गुजरने के बाद उपकरण दोबारा स्लीप मोड पर चला जाता है।

- अभी हैंड हेल्ड डिवाइस कर रही काम वर्तमान में पटरियों में लगने वाले उपकरण लग नहीं पाए हैं। ऐसे में हैंड हेल्ड लेजर गन की मदद से कर्मचारी डाटा रिकार्ड कर कागज पर लिखकर काम करते हैं।

- यात्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण इस उपकरण को अति व्यस्त रेल रूटों के बाद इसे बनारस समेत अन्य रूटों पर भी लगाया जाएगा। --दीपक कुमार, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर रेलवे

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