इम्युनिटी बूस्टर ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदली मीरजापुर के किसानों की तकदीर, दोगुनी हुई आय

ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों की सूझबूझ की कहानी को बयां करती नजर आ रही है। सूझबूझ और तकनीकी का इस्तेमाल किसानों की किस्मत गढ़ रहा है और उनके लिए कमाई का बेहतर जरिया भी साबित हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 05:40 PM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 05:40 PM (IST)
इम्युनिटी बूस्टर ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदली मीरजापुर के किसानों की तकदीर, दोगुनी हुई आय
ड्रैगन फ्रूट डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है।

मीरजापुर, कमलेश्वर शरण। ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों की सूझबूझ की कहानी को बयां करती नजर आ रही है। सूझबूझ और तकनीकी का इस्तेमाल किसानों की किस्मत गढ़ रहा है और उनके लिए कमाई का बेहतर जरिया भी साबित हो रहा है। कई गंभीर बीमारियों के लिए रामबाण साबित होने वाले ड्रैगन फ्रूट की दो साल पहले यानी 2018 से शुरू हुई खेती ने किसानों की उन्नति के दरवाजे खोल दिए है। इसकी खेप वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई जिलों में पहुंचने लगी है। उद्यान विभाग के सहयोग से कुछ किसानों ने खेती शुरू की तो जिलेभर के करीब 22 किसान आगे आएं। उद्यान विभाग के सहयोग से तकनीकी का बखूबी इस्तेमाल कर किसान एक मिसाल बनकर उभरे हैं।

थाईलैंड, चीन व मलेशिया में होने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उद्यान विभाग ने वियतनाम से ड्रैगन फ्रूट के पौधे मंगवाए। शुरुआत में बहुत कम लोगों ने रुचि दिखाई, लेकिन सालभर में बेहतर लाभ को देखते हुए किसानों का रुझान बढ़ा। 18 महीने में इसके पौधे फल देने के लिए तैयार हो गए थे। किसान कई बार फल निकाल चुके हैं। सौ से चार सौ ग्राम वजन तक के लाल रंग के होने वाले फल को किसान उद्यान विभाग के जरिए जल्द ही दूसरे प्रांतों में भी भेजेंगे। इसकी डिमांड वाराणसी, मुंबई आदि शहरों में भी बढ़ गई है। जिले की मिट्टी में ड्रैगन फ्रूट की खेती सफल है। इसकी खेती करने के वाले किसान नुआंव निवासी रामजी दुबे ने बताया कि पहले साल फल आया तो अधिकतर टेस्ट करने में ही चला गया, लेकिन कुछ फल उन्होंने सौ रुपये प्रति फल के हिसाब से बेचें। राजगढ़ के राजेश मौर्या, सहन मौर्या, राधेश्याम सिंह, सक्तेशगढ़ के अजय कुमार सिंह, नुआंव के रामजी दुबे ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती उनके लिए फायदे का सौदा साबित हुई है। व्यापारी अब उनके फार्म पर आकर यहीं से माल लेकर जाने लगे हैं। इससे मंडियों के चक्कर लगाने से छुटकारा मिला है। उनकी आय भी दोगुनी हो गई है। कहा कि ड्रेगन फ्रूट की खेती से काफी फायदा मिल रहा है। अन्य किसान भी इसमें आगे बढ़ें और उचित लाभ कमाएं।

ड्रैगन फ्रूट की खेती बनी फायदे का सौदा

ड्रैगन फ्रूट का पौधा काफी नाजुक होता है, इसलिए पिलर के सहारे खड़ा करना होता है और ऊपर से हल्का पानी देना होता है। एक पिलर में चार पौधे लगा सकते हैं और 18 महीने में उसमें 50 से 120 फल आ जाते हैं। उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि एक बार लगा पौधा कई साल चलता है। इससे किसानों को अच्छी आय होती है। इसमें पिलर बनवाने का खर्च ही महंगा है। बाकी 50 रुपये का पौधा और गोबर की खाद लगती है। पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इसमें बीमारी भी नहीं लगती है। कांटे होने की वजह से इसे कोई जानवर भी नहीं खाता।

अगस्त से आने लगते हैं फल

ड्रैगन फ्रूट के पौधों में मई व जून में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल आते हैं। इसकी ड्रिप सिंचाई ज्यादा बेहतर रहती है। गर्मी के मौसम में आवश्यकता के अनुसार ही सिंचाई करनी चाहिए। फूल आने के एक माह बाद फल तोड़ा जा सकता है।

इन बीमारियों के लिए रामबाण

ड्रैगन फ्रूट डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। अधिक चर्बी वाले लोग भी इसका सेवन कर मोटापा कम करते हैं। यह फल हार्ट को मजबूत करने के साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है। इसमें विटामिन बी और सी के साथ कैल्शियम, आयरन जैसे तत्व भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

22 किसानों ने 30 एकड़ में ड्रेगन फ्रूट की खेती की है

जिले के 22 किसानों ने 30 एकड़ में ड्रेगन फ्रूट की खेती की है। कम लागत में अधिक आय देने वाले ड्रैगन फ्रूट की मांग मुंबई, वाराणसी समेत कई प्रांतों से की जा रही है। इसकी खेती कर किसान आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं। अब तक लगभग चार क्विंटल ड्रैगन फ्रूट की सप्लाई की जा चुकी है।

- मेवाराम, जिला उद्यान अधिकारी, मीरजापुर।

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