मान्यता व सत्यापन में हुआ होगा खेल तो फसेंगे मदरसे
जागरण संवाददाता वाराणसी मदरसों में अनुदान के नाम पर धांधली की शिकायतों को देखते हुए श्
जागरण संवाददाता, वाराणसी : मदरसों में अनुदान के नाम पर धांधली की शिकायतों को देखते हुए शासन ने जांच के निर्देश दिए हैं। जिले में ग्रामीण-शहरी क्षेत्र में जांच को अलग-अलग समितियां गठित हो चुकी हैं लेकिन अभी जांच अधिकारी क्षेत्र में नहीं निकल रहे हैं, जबकि डीएम कौशल राज शर्मा ने 15 मई से पूर्व जांच कमेटी को संपूर्ण रिपोर्ट जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। बताया जा रहा है कि मदरसा बोर्ड की परीक्षा के कारण इसमें विलंब हुआ है। टीमें शनिवार से जांच शुरू कर देंगी।
बहरहाल, मदरसों की जांच में भूमि, भवन, किरायानामा के साथ मान्यता, अनुदान पर सर्वाधिक बल दिया गया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि जिले में अनुदान पाने वाले मदरसों की संख्या 72 है। स्नातक शिक्षकों को आठ हजार रुपये मानदेय के रूप में मिलता है। इसमें दो हजार राज्य व आठ हजार केंद्र सरकार का अंशदान रहता है। इसी प्रकार परास्नातक, बीएड शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है। इसमें तीन हजार राज्य व शेष केंद्र की राशि होती है। मानदेय जारी होने से पूर्व शिक्षकों की उपस्थिति, हस्ताक्षर की जांच के बाद मानदेय जारी होता है। मदरसों के सत्यापन के बाद ही मानदेय स्वीकृत होता है। अब मदरसों की ओर से सत्यापन में खेल किया जा रहा होगा तो फंसना तय है। मतलब शिक्षक कागज पर तैनात हों और मानदेय लिया जा रहा हो। हालांकि यह सब जांच में स्पष्ट हो पाएगा। मानक से इतर किसी ने मान्यता हासिल की होगी तो कार्रवाई की जद में आएगा।
जांच की जिम्मेदारी
शासन ने नगरीय क्षेत्र व ग्रामीण क्षेत्र में जांच के लिए अलग-अलग समिति गठित करने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में ग्रामीण क्षेत्र में समस्त उप जिलाधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी व खंड विकास अधिकारी की ओर से नामित अवर अभियंता को जांच समिति में रखा गया है तो वहीं नगरीय क्षेत्र में एसडीएम, नगर शिक्षा अधिकारी व नगर पंचायत व नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी की ओर से नामित अवर अभियंता जांच करेंगे।
'मदरसों की जांच होनी है लेकिन अभी शुरू नहीं हुई, शनिवार से समिति के सदस्य जांच को निकलेंगे।'
- स्कंद गुप्ता, खंड शिक्षा अधिकारी