Varanasi Smart city में अब स्मार्ट हो रहीं बनारस की ऐतिहासिक गलियां

यह नगर गलियों के लिए भी विश्व प्रसिद्व है जो सड़क की भीड़-भाड़ से दूर लोगों के आवागमन के लिए विशेष तौर पर उपयोग किया जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 05:38 PM (IST)
Varanasi Smart city में अब स्मार्ट हो रहीं बनारस की ऐतिहासिक गलियां
Varanasi Smart city में अब स्मार्ट हो रहीं बनारस की ऐतिहासिक गलियां

वाराणसी, जेएनएन। देश के सबसे प्राचिन नगरों में से एक बनारस है। इसलिए इसके बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार मार्क ट्वेन ने कहा था यह इतिहास से भी पुराना है। बनारस, ना केवल मंदिरो और अपने धार्मिक परंपराओं, घाटों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि गलियों के लिए भी जाना जाता है। वाराणसी शहर की आत्मा यहां के गलियों मेें निवास करती है।

इसलिए इसे गलियो का शहर भी कहते है। यह नगर गलियों के लिए भी विश्व प्रसिद्व है, जो सड़क की भीड़-भाड़ से दूर लोगों के आवागमन के लिए विशेष तौर पर उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में ये गलियां काफी पुरानी होने के साथ ही साथ गलियों की सड़क, सीवरेज, पेयजल व्यवस्था काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गई है, जिससे इनका पुनरूद्धार कराना अत्यन्त आवश्यक है। इस दृष्टिगत कि क्रमश: राज मंदिर वार्ड लागत-13.53 करोड़, काशी काल भैरव वार्ड लागत-16.24 करोड़, कामेश्वर महादेव वार्ड लागत-17.09 करोड़, जंगमबाड़ी वार्ड लागत-12.65 करोड़, दशाश्वमेध वार्ड लागत-16.22 करोड़ आदि में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकास का कार्य कराया जा रहा है। साथ ही साथ एक और वार्ड गढ़वासी टोला लागत-9.60 करोड़ के कार्य के लिए निविदा की प्रक्रिया में है। वर्तमान में परियोजना के लिए निविदा आमंत्रित कर कार्यदायी संस्था के साथ अनुबंध करते हुए व स्तरीय मानकों के आधार पर कार्य योजना बनाकर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इन वार्डो में कार्य क्रमश: राज मंदिर वार्ड, काशी काल भैरव वार्ड व कामेश्वर महादेव वार्ड में 30 सितम्बर 2021 तक, जंगमबाड़ी व दशाश्वमेध वार्ड में दिसम्बर 2021 तक कार्य पूर्ण करा लिया जाएगा। परियोजना के तहत नगर के विभिन्न वार्डों मे स्थित गलियों के जीर्णोद्धार के लिए गलियों में लगाये गये पुराने चैका पत्थर को बदलने, सीवरेज व भूमिगत पेयजल की लाइनों को बदलकर नई लाइन डालनें, गलियों में स्थित भवनों की दिवारों पर आकर्षक थीम आधारित चित्रकारी किया जाना शामिल है जिससे नागरिकों को सीवरेज व पेयजल इत्यादि की समस्याओं से निजात मिल सकता है। साथ ही साथ इन गलियों का स्वरूप भी बदल जाएगा।

...तो फिर नहीं करनी होगी खोदाई

गलियों में डक्ट चैंबर का निर्माण किया जा रहा है जिसके माध्यम से भविष्य में विद्युत, टेफिलोन जैसी लाइन को गलियों में स्थित चौका पत्थर, सीवरेज, पेयजल पाइप ल को बिना क्षतिग्रस्त किये बिछाया जा सकता है। गलियों में कुछ दूर पर जगह-जगह चैम्बर व मैनहोल बनाया गया है जिसके भविष्य में सीवरेज व पेयजल से आने वाली समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकता है। साथ ही साथ गलियों में वर्षा के पानी के लिए जगह-जगह गली टैप बनाया गया है जिसमें बारिस के पानी को इकठ्ठा करते हुए मेन होल में भेजा जायेगा, जिससे वर्षा के समय जल भराव की समस्या नहीं उत्पन्न होगी।

संकरी गलियों से कार्य धीम

परियोजना के तहत प्रस्तावित वार्ड की गलियां अत्यन्त संकरी होने के कारण कार्य करने में काफी समस्या आ रही है। इसके लिए वार्ड में कार्ययोजना बनाकर एक समय में कुछ ही गलियों को लेते हुए कार्य किया जा रहा है। यात्रियों के आवागमन, सीवरेज से संबंधित समस्या के लिए अस्थायी मार्ग तथा अस्थायी पाइप लाइन का प्राविधान किया गया है।

 स्मार्ट हो रहे वाराणसी को कार्य प्रगति में सातवां स्थान

-अहमदाबाद को पहला, सूरत को दूसरा और इंदौर को मिला तीसरा स्थान

-आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई रैंङ्क्षकग

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 100 शहरों में स्मार्ट सिटी योजना के तहत परियोजनाओं की प्रगति और पूर्णता दर के आधार पर अखिल भारतीय रैंकिंग जारी की गई है। इसमें वाराणसी को 7वां रैंक मिला है, जबकि अहमदाबाद को पहला, सूरत को दूसरे और इंदौर तीसरे स्थान पर है। इसको लेकर जनवरी 2020 में जारी रैंकिंग में वाराणसी 13वें स्थान पर था। पिछली बार की अपेक्षा इस बार वाराणसी सात पायदान आगे है।

 नगर आयुक्त गौरांग राठी ने उम्मीद जताई कि अगली बार वाराणसी अव्वल होगा। स्मार्ट सिटी के लिए समय-समय पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से बजट जारी किया जाता है, जिसका उपयोग सुनियोजित तरीके से करते हुए विभिन्न स्मार्ट सिटी की ओर से पूर्ण परियोजनाएं गतिमान परियोजनाएं, कार्यो की जारी की गई निविदाएं व कार्यदेश, व्यय या उपयोग बजट के संबंध में सूचना पोर्टल पर अपडेट की जाती है। नगर आयुक्त के अनुसार वाराणसी में विभिन्न जगहों पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत 561 करोड़ रुपये से 25 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें मल्टी स्टोरी पार्किंग समेत कई कार्ययोजना शामिल हैं। इसके अलावा 261 करोड़ रुपये से 16 योजनाओं पर काम पूरा हो चुका है, जबकि 157 करोड़ की 5 परियोजनाओं की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा।

कोरोना काल के बावजूद स्मार्ट सिटी योजना के जुड़े अधिकारियों के कुशल निर्देशन और सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर काम को गति दी जा रही है, जबकि अप्रैल और मई में पूरी तरह से काम बंद था। पिछले दो महीने में तेजी से काम हुआ है, जिसका परिणाम यह है कि वाराणसी 13वें से 7वें पायदान पर पहुंच गया है।

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