BJP जिला और महानगर कार्यकारिणी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में छाया असंतोष

भाजपा के पदाधिकारियों का चयन किया गया है उसे लेकर कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 09:10 AM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 10:49 AM (IST)
BJP जिला और महानगर कार्यकारिणी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में छाया असंतोष
BJP जिला और महानगर कार्यकारिणी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में छाया असंतोष

वाराणसी [अशोक सिंह]। भाजपा की ओर से महानगर और जिला कार्यकारिणी की बीते सप्ताह घोषणा कर दी गई। संगठन में नीचे तक लोकतंत्र व पार्टी विद डिफरेंस का दंभ भरने वाली पार्टी में जिस प्रकार से पदाधिकारियों का चयन किया गया है उसे लेकर कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का माहौल इन दिनों काफी गरम है। अधिकतर का मानना है कि पहुंच वालों ने मिल कर पद बांट लिए और दिन-रात झंडा लेकर चलने वाले कार्यकर्ता जिनकी ऊपर तक पहुंच नहीं है वे ताकते रहे गए। विशेष रूप से जनप्रतिनिधियों के चहेतों को पदाधिकारी बनाने का आरोप लगाया जा रहा है।

एक कार्यकर्ता ने लिखित रूप से आरोप लगाया है कि जिला कमेटी में मंत्री पद एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया है जो यहां का ही नहीं है। किराए का मकान ले कर रहता है और मूल निवासी मऊ का है। इतना ही नहीं भाजपा कर्मदेश्वर मंडल से जिलाध्यक्ष समेत सात लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया है। जिले के 20 में से 10 मंडलों को कार्यकारिणी में जगह ही नहीं दिया गया। मात्र छह माह से पार्टी में सक्रिय दो लोगों को महामंत्री बना दिया गया। एक कार्यकर्ता ने तो सोशल मीडिया पर लिखा कि ''छोटे राजनीतिक जीवन में पता चल गया कि राजनीति में स्वच्छ छवि की जगह सीमित है। जमीन कब्जा, भ्रष्टाचार में संलिप्त और चापलूस होना बहुत जरूरी है। सत्ता बनती है तो छोटे लोगों से लेकिन चलती अवगुणों से भरे लोगों से है। इन प्रतिक्रियाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यकर्ताओं में

सबका साथ का नहीं रखा ध्यान

महानगर कार्यकारिणी को लेकर नगर कुशवाहा संघ ने तो विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कार्यकारिणी की सूची देखकर समाज के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं। महानगर में दो लाख कुशवाहा की उपेक्षा की गई है। यह प्रधानमंत्री के सबका साथ के सिद्धांत की उपेक्षा है। एक कार्यकर्ता का तो कहना है कि एक जनप्रतिनिधि का काम देखने वाले आठ लोगों को उपाध्यक्ष, मंत्री जैसे प्रमुख पद दे दिए गए हैं। चयन में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का भी ध्यान नहीं रखा गया है। मंत्रियों के अधिकृत प्रतिनिधिओं को पदाधिकारी बना दिया गया है। एक महिला नेत्री जो राष्ट्रीय महिला मोर्चा कार्यकारिणी में हैं उन्हें और एक डायरेक्टर को पदाधिकारी बनाया गया है। प्रदेश पदाधिकारी के धंधे को देखने वाले को सीधे मंत्री बना दिया गया है। यह तो कुछ बानगी है जबकि सोशल मीडिया कार्यकर्ता पदाधिकारियों पर आरोप प्रत्यारोप से भरे पड़े हैं। जहां भी कार्यकर्ता जुट रहे हैं वहां पर संगठन की घोषणा को लेकर चर्चा गरम हो जा रही है। इस संबंध में महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय की प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन किया गया लेकिन सम्पर्क नहीं हुआ।

सभी को पदाधिकारी नहीं बनाया जा सकता

चयन में हर वर्ग और समाज के लोगों को स्थान देने का प्रयास किया गया है। सभी को पदाधिकारी नहीं बनाया जा सकता है। कार्यप्रणाली को देखकर आगे बदलाव भी किया जा सकता है।

हंसराज विश्वकर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष।

सामाजिक समीकरण को देख कर संगठन को बनाया गया

वाराणसी ही नहीं सभी 16 भाजपा जिलों में सामाजिक समीकरण को देख कर संगठन को बनाया गया है। सबका साथ को आधार बना कर महिलाओं तक को टीम में स्थान दिया गया है।

महेश चंद्र श्रीवास्तव, अध्यक्ष काशी क्षेत्र।

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