नए कृषि कानून को वापस ले सकती हैसरकार, बलिया में बोले यूपी भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल
यूपी विधानसभा चुनाव और किसानों के गुस्से को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार (नए) कृषि कानून वापस ले सकती है। कृषि कानूनों के विरोध के कारण भाजपा नेता पश्चिमी यूपी के गांवों में प्रवेश नहीं कर सके उन्होंने कहा किसान भविष्य में उनका घेराव भी कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, बलिया। भाजपा के पूर्व विधायक रामइकबाल सिंह ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इसे वापस ले सकती है। यूपी भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल ने रविवार रात पत्रकारों से कहा कि किसानों की मांग सही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और किसानों के गुस्से को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार (नए) कृषि कानून वापस ले सकती है। कृषि कानूनों के विरोध के कारण, भाजपा नेता पश्चिमी यूपी के गांवों में प्रवेश नहीं कर सके, उन्होंने कहा, किसान भविष्य में उनका घेराव भी कर सकते हैं। पेगासस जासूसी को लेकर संसद में गतिरोध पर सिंह ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में विपक्ष की मांग पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष जांच चाहता है, तो सरकार को इस पर आगे बढ़ना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि संसद सुचारू रूप से चले।
कृषि सुधार पर तीन नए कानून : किसानों की आय बेहतर करने को केंद्र सरकार कृषि सुधार पर तीन नए कानून लेकर आई है। ये कानून हैं, कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवंर्धन एवं सरलीकरण) 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा करार 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) 2020। ये कानून, किसानों को बिना टैक्स दिए दूसरे राज्यों में फसल बेचने, अनुबंध की खेती व उसकी मार्केटिंग करने और स्टोरेज संबंधी स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। देशभर के किसान लंबे समय से इसकी मांग करते रहे हैं। हालांकि, पंजाब व हरियाणा के किसान इसका विरोध कर रहे हैं। अधिसंख्य कृषि विशेषज्ञों की राय है कि नए कानून का लाभ देशभर के किसानों को मिलेगा। उधर, भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत लगातार हो रही है। महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस होने तक किसान पीछे नहीं हटेंगे।