पैर तीन नंबर का जूता मिला नंबर पांच का, महज चार माह में ही फट गए बच्चों को मुफ्त मिलने वाले जूते

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को इस वर्ष मुफ्त मिलने वाले जूते की क्वालिटी बेहद खराब है चार माह में ही बच्चों का जूता फटने लगा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 06 Nov 2019 11:00 AM (IST) Updated:Wed, 06 Nov 2019 09:50 PM (IST)
पैर तीन नंबर का जूता मिला नंबर पांच का, महज चार माह में ही फट गए बच्चों को मुफ्त मिलने वाले जूते
पैर तीन नंबर का जूता मिला नंबर पांच का, महज चार माह में ही फट गए बच्चों को मुफ्त मिलने वाले जूते

वाराणसी [अजय कृष्ण श्रीवास्तव]। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को इस वर्ष मुफ्त मिलने वाले जूते की क्वालिटी बेहद खराब है। चार माह में ही बच्चों का जूता फटने लगा है। वहीं साइज में भी गड़बड़झाला है। तीन नंबर के पैर वाले बच्चों को पांच नंबर का जूता दे दिया गया है। जूतों का नंबर बेमेल होने के कारण तमाम बच्चों ने विद्यालयों को जूता वापस कर दिया है। ऐसे में प्राय: सभी विद्यालयों में 15 से 20 जोड़ी बेमेलजूते डंप पड़े हुए हैं। पूरे जनपद में करीब 25000 जूते डंप हैं। 

जनपद के 1368 विद्यालयों में 184646 बच्चों को अप्रैल में ही जूता-मोजा वितरित किया गया था। इसमें 354 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 45778 बच्चे भी शामिल हैं। अभिभावकों का कहना है कि इस वर्ष जूतों की गुणवत्ता बेहद खराब थी। इसके चलते दो माह में ही जूते फटने लगे। यही नहीं बैग की क्वालिटी और भी खराब है। ज्यादातर बच्चों का बैग फट गया है।

कई अभिभावक इसकी शिकायत हेडमास्टर से भी कर चुके हैं। प्राथमिक विद्यालय (दांदूपुर) के अध्यापक शैलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि बेमेल जूते को लेकर प्राय: सभी विद्यालय में समस्या बनी हुई है। बदलने के लिए हेडमास्टर जूता लेकर एक-दूसरे विद्यालयों में दौड़ रहे हैं। इसके चलते तमाम बच्चों को अब तक जूता नहीं मिल सका है। इसके अलावा बैग की गुणवत्ता खराब होने की सूचना भी हेडमास्टरों ने खंड शिक्षा अधिकारियों को दे दी है। आराजीलाइन के खंड शिक्षा अधिकारी स्कंद गुप्ता ने बताया कि ब्लाक के विद्यालयों में 428 जोड़ी जूते बेमेल पड़े हुए हैं। बीएसए को इसकी जानकारी दे दी गई है। 

बोले अधिकारी : निर्धारित फर्म द्वारा कुल ब्लाकों के विद्यालयों में बेमेल जूते उपलब्ध कराने की सूचना मिली है। इसे बदलने के लिए फर्म को निर्देश दिया गया है। इसके अलावा जूते व बैग की गुणवत्ता की जांच कराई जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही बैग व जूता का भुगतान किया जाएगा। -जय सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी।

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