गंगा में बाढ़ : कमरे में गंगा स्नान, छत पर कुनबा-ध्यान, बनारस में बाढ़ का लोगों ने कुछ ऐसा रखा मान

सामनेघाट पर घाट का किनारा छोड़ गंगा मैया आगे बढ़ चलीं थी उधर पीछे की गली में पानी ने रफ्तार पकड़ी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 23 Sep 2019 05:54 PM (IST) Updated:Tue, 24 Sep 2019 08:15 AM (IST)
गंगा में बाढ़ : कमरे में गंगा स्नान, छत पर कुनबा-ध्यान, बनारस में बाढ़ का लोगों ने कुछ ऐसा रखा मान
गंगा में बाढ़ : कमरे में गंगा स्नान, छत पर कुनबा-ध्यान, बनारस में बाढ़ का लोगों ने कुछ ऐसा रखा मान

वाराणसी [ओंकार उपाध्याय]। सामनेघाट पर घाट का किनारा छोड़ गंगा मैया आगे बढ़ चलीं थी, उधर पीछे की गली में पानी ने रफ्तार पकड़ी। 22 सितंबर को सुबह ही पानी कृष्णानगर कालोनी में गली नंबर चार से आगे हरहरा कर भरने लगा था। यह तेवर देख सन् 13 व 16 का दर्द उभर पड़ा। क्योंकि उस समय भी ऐसा ही हुआ था और कुछ घंटे बाद ही पानी घर में घुस गया था। लगभग एक सप्ताह तक पीड़ा झेलनी पड़ी थी।

पानी का मौजूदा तेवर देख देख टीवी, फ्रिज, चौकी, पलंग, आलमारी आदि को सुरक्षित करने के चुनौती आन पड़ी थी। घर में सभी सामान बांधने और ऊपर के कमरे में पहुंचाने की जुगत में हम लगे। जीवित्पुत्रिका पर्व की भी तैयारियां इसी आपदा में साथ-साथ चल रहीं थीं। यह पीड़ा केवल हमारी नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले की थी। सभी सामान को सुरक्षित करने की जुगत में थे। इसी बीच यह चर्चा सामने आई कि पूजा के निमित्त पीछे के कई घरों में महिलाओं ने कमरे में ही गंगा स्नान कर लिया और पूजा-अर्चना भी। छत पर तो पहले से लोगों ने ठिकाना बना रखा था। 

दोपहर तक यह भी अफवाह फैली कि टिकरी के पास बना बंधा टूट गया और अब पानी गलियों के रास्ते से होकर घर तक पहुंच जाएगा। फिर क्या था, मोहल्ले के हर घर में सामान बचाने और झांक कर देखने की जुगत कि धारा कहीं आगे तो नहीं बढ़ रही। रात होते होते छत से छत बातों का सिलसिला भी शुरू हुआ। साथ ही यह प्रार्थना भी कि मां गंगा का कोप यहां तक न पहुंचे। सुखद बात यह कि प्रवाह स्थिर हो गया। सुबह पहला काम यही था कि गली से बाहर निकलकर देखना कि पानी कहां तक पहुंचा।

मोहल्ले के कई लोग मुहाने तक पहुंच गए थे और यह देख सुकून में थे धारा वहीं थी जहां रात में थी। उधर घर में अब भी धुकधुकी बरकरार थी। घर पहुंचे और सभी को बताया कि अब गंगा की धारा स्थिर हो गई है। पानी अब लौटने लगा है। सामनेघाट में घाट के पास  बढ़ा पानी भी कम होने लगा था। हालांकि घाट पर कृष्णा नगर कालोनी के दुबेजी और पास के दुकानदार अमर सिंह चर्चा में मशगूल थे। दुबे जी ने ठेठ भोजपुरी में पूछा का हो अमर भइया गंगा मइया कब ले जईहें, तो जवाब भी दर्द के साथ ही कि क्या बताऊं भाई साहब, हम तो कई दिन से फंसे हैं। दुकान भी नहीं खुल पा रही है। 23 की शाम तक सभी को इस बात की राहत थी कि धारा धीरे धीरे वहीं लौटने लगी है जहां से गंगा अनादिकाल से गतिमान होती रही हैैं।

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