आज़मगढ़ में पूर्व सांसद के आवास पर खाद्यान्न वितरण में भीड़ जुटाने पर डीआइजी के आदेश पर मुकदमा
आज़मगढ़ में पूर्व सांसद के आवास पर खाद्यान्न वितरण में भीड़ जुटाने पर डीआइजी के आदेश पर मुकदमा दर्ज।
आज़मगढ़, जेएनएन। कोरोना वायरस के खतरों के बीच मंडरा रहे आशंकाओं के बादल में शारीरिक दूरी का भी ख्याल नही रखा जा रहा है। कोरोना पर विवादित बयान देकर पहले भी सुर्खियां बटोर चुके पूर्व सांसद रमाकांत यादव द्वारा राशन वितरण में भीड़ बटोरने पर डीआइजी सुभाष चन्द्र दुबे ने एसओ सिधारी को एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
डीआईजी ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि सामाजिक कार्य करते समय पर्याप्त दूरी बनाने का जिम्मा सभी पर है ताकि संक्रमण कमसे कम हो। मगर इसमें कोई भी लापरवाही करेगा तो सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम किया जाएगा। दरसल जिले में कई कोरोना पीड़ित लोग मिलने से जिला काफी संवेदनशील हो गया है।
आजमगढ़ जिले में कोरोना संबंधी अनहोनी के बादल मंडराने लगे हैं। बैंक, बाजार के बाद जिम्मेदारों के घरों पर भी शारीरिक दूरियां बनाए रखने की सतर्कता का पालन नहीं हो पा रहा है। मंगलवार को दूसरे दिन सपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव के शहर के परानापुर आवास पर सहायता पाने को भीड़ उमड़ी तो शारीरिक दूरियां (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाए रखने के निर्देश की धज्जियां उड़ गईं। अभी पुरानी जेल के पीछे कांशीराम कालोनी में पांच अप्रैल की रात जुलूस निकाले जाने की खबर सुर्खियां बनीं थीं।
जिम्मेदारों के चुप्पी साधने से जिले पर अनहोनी की आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं। उधर, गंभीरता से लेते हुए डीआइजी सुभाष चंद्र दुबे ने थानाध्यक्ष सिधारी को तत्काल अपेडमिक एक्ट सहित कई धाराओं में एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण हिल गई है। लॉकडाउन को लेकर एक संकेत दिया गया है, कि कोरोना मरीज मिलते रहे तो बंदी बरकरार रहेगी। मंगलवार को एक और मरीज की पॉजिटिव रिपोर्ट भी आ गई, बावजूद इसके शारीरिक दूरी बनाए रखने के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। सपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने परानापुर स्थित अपने आवास पर खाद्यान्न देने के लिए लोगों को बुला लिया। भीड़ उमड़ी तो मीडिया की नजरों से बच नहीं सकी। पूर्व सांसद ने कहा कि मैने शारीरिक दूरी बनवाने की कोशिश की थी। एक-एक मीटर की दूरी पर लाइन भी लगवाई, लेकिन खाद्यान्न बंटने लगा तो भीड़ उमड़ पड़ी। अबोध होने के कारण जनता कंट्रोल में न हो पाई। ऐसे में जल्दी से बांटकर सबको वापस भेज दिया गया। अनुमति के संबंध में बताया कि एसडीएम ने नहीं दिया लेकिन राहत सामग्री आ चुकी थी। पूर्व सांसद के खिलाफ पहले भी कोरोना को लेकर दिए विवादित बयान देने के बाद केस दर्ज हुआ था। कोरोना की महामारी के बीच सहायता पाने के लिए भीड़ उमडऩे की भनक पर पुलिस भी पहुंच गई थी।
जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने पूर्व सांसद रमाकांत यादव के द्वारा राहत सामग्री वितरण किए जाने के वायरल हुए वीडियो पर कहा कि शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया गया है। उन्हें लीगल नोटिस जारी कर 24 घंटे के अंदर जवाब मांगे गए हैं। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो उनके खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। सामाजिक संगठनों को भी सचेत किया कि वे बिना प्रशासन को अवगत कराए राहत सामग्री वितरित न करें।