सोनभद्र में कई टन विस्फोटकों का प्रतिदिन होता है प्रयोग, कालाबाजारी की भी शिकायतें

सबसे प्रमुख खनन क्षेत्रों में एक बिल्ली-मारकुंडी के कई इलाको में खनन में सर्वाधिक विस्फोटक प्रयोग होता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 05:01 PM (IST) Updated:Sat, 01 Sep 2018 05:20 PM (IST)
सोनभद्र में कई टन विस्फोटकों का प्रतिदिन होता है प्रयोग, कालाबाजारी की भी शिकायतें
सोनभद्र में कई टन विस्फोटकों का प्रतिदिन होता है प्रयोग, कालाबाजारी की भी शिकायतें

आनंद चतुर्वेदी, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश के सबसे प्रमुख खनन क्षेत्रों में एक बिल्ली-मारकुंडी के साथ बर्दिया, सिन्दुरिया व सुकृत में विस्फोटकों का भारी प्रयोग होता है। सैकड़ों खदानों में होने वाले पत्थर खनन के लिए रोजाना कई टन विस्फोटक प्रयोग में लाये जाते हैं। ऐसे में जनपद को संवेदनशील कहा जा सकता है। वैसे तो खनन में विस्फोटकों को लेकर सामान्य स्थिति रहती है, लेकिन खदानों से इतर इसके प्रयोग की भयावहता पिछले दिनों वाराणसी में हुई घटना से देखी जा सकती है। सोनभद्र के खनन क्षेत्र में जितनी मात्रा में प्रतिदिन विस्फोटकों का प्रयोग होता है उससे किसी भी बड़े शहर को एक पल में उड़ाया जा सकता है। ऐसे में विस्फोटकों के प्रयोग और सुरक्षा के लिए फिलहाल कड़े मापदंड बनाये गये हैं। अंग्रेजों के जमाने के पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) जिसका मुख्यालय नागपुर में है। उसके द्वारा विस्फोटकों के उत्पादन, आयात, निर्यात, परिवहन, कब्जा, विक्रय, प्रयोग के संचालन तथा विनियमन के साथ जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। गत दो वर्षों के दौरान पेसो द्वारा विस्फोटकों की आपूर्ति मात्रा को लेकर कड़े किये गये तेवर के कारण विस्फोटकों को लेकर होने वाली गड़बड़ियों में भारी कमी आई है। आबादी से दूर रखा जाता है विस्फोटकों को - सोनभद्र में मौजूद मैगजीन जिनमें विस्फोटकों को रखा जाता है उन्हें अमूमन रिहायशी क्षेत्रों से दूर बनाया जाता है। विस्फोटकों में इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर को खतरनाक माना जाता है। लिहाजा मैगजीन में बिजली तड़ित चालाक लगाया जाता है। कारण कि आकाशीय बिजली के सम्पर्क में आने से डेटोनेटर के सक्रिय होने की संभावना रहती है। जनपद में फिलहाल 15 के करीब मैगजीन हैं। वर्तमान में ज्यादातर खदानों के बंद होने के कारण कम हुई मांग के कारण केवल 5 या 6 ही संचालित अवस्था में हैं। जनपद में ज्यादातर विस्फोटक नागपुर और राजस्थान से आता है। केवल पट्टा धारकों को ही मिलता है विस्फोटक - गत एक दशक के दौरान सोनभद्र के पत्थर खनन क्षेत्र में प्रयोग होने वाले विस्फोटकों के नक्सलियों के हाथ लगने तथा अवैध खनन में प्रयोग होने की बढ़ती घटनाओं के बीच मानकों में कड़ाई की गई है। लाइसेंसी विस्फोटक आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बनाये गये मैगजीन से ही खनन पट्टाधारकों को विस्फोटकों की आपूर्ति की जाती है। विशेष परिस्थितियों में जिला प्रशासन द्वारा किसी सरकारी कार्य में विस्फोटकों के प्रयोग की अनुमति दी जाती है। वर्तमान में ओबरा-सी में हो रहे विस्फोटकों का प्रयोग ऐसी ही परिस्थितियों में है। खनन पट्टाधारकों द्वारा अपेक्षित विस्फोटकों की ऑनलाइन बु¨कग कराई जाती है। बु¨कग के आधार पर ब्लास्टर की देखरेख में मैगजीन से विस्फोटक खदानों में पहुंचाये जाते हैं। खदानों में नियुक्त माइंस मैनेजर व ब्लास्टर की मौजूदगी में ब्ला¨स्टग कराई जाती है। अगर विस्फोटक बच जाय तो इसकी सूचना मैगजीन के ब्लास्टर को दी जाती है। इसके अलावा प्रतिदिन विस्फोटक आपूर्ति की पूरी जानकारी सम्बंधित पुलिस थाने को दी जाती है। गलत हाथों में लगने की बढ़ी संभावना - खनन क्षेत्र में प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर व जिलेटिन रॉड के गलत हाथों में पहुंचने की संभावना बराबर बनी रहती है। कई खदानों में अवैध खनन से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। केवल पट्टा धारकों को ही विस्फोटक आपूर्ति का नियम है लेकिन इसके बावजूद अवैध खदानों में विस्फोटक पहुंच जाते हैं। इसके अलावा खदान मजदूर भी अक्सर बचे हुए विस्फोटकों को चुरा लेते हैं। वर्तमान में रेणुकापार के कई पानी के स्त्रोतों में विस्फोटकों से मछली मारने की सूचना आती रहती हैं। जिन्हें खदान मजदूरों द्वारा चोरी करके लाया जाता है। ऐसे में विस्फोटकों के गलत हाथों में लगने में संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। वाराणसी की घटना भी चोरी के ही विस्फोटकों से होने की सामने आ रही है। क्या है जिलेटिन - जिलेटिन एक विस्फोटक है। यह नाइट्रोसेल्यूलोज या गन कॉटन है, जिसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है और बिना डेटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता। जिलेटिन से बनी छड़ों का उपयोग खदानों में चट्टानों को तोड़ने के लिए किया जाता है। पहाड़ों को तोड़ने के इनदिनों शहरी क्षेत्र में अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए विस्फोटक विशेषज्ञ जिलेटिन का प्रयोग करते है। क्या होता है डेटोनेटर - डेटोनेटर की मदद से बम को सक्रिय किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे बम का ट्रिगर भी कह सकते हैं। इसका इस्तेमाल गड्ढा खोदकर छिपाये गये बमों आइईडी (इम्प्रोवाइज एक्सप्लोजिव डिवाइसेस) में किया जाता है । डेटोनेटर से बम की विस्फोटक क्षमता बढ़ जाती है। नक्सली आमतौर पर ऐसे ही बमों का उपयोग करते हैं।

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