उत्खनन : बभनियांव व महावन में काशीखंड के शिवलिंग मिलने के संकेत, आज से खुुदाई शुरू

काशीखंड साहित्य के मुताबिक पंचकोसी परिक्रमा में 524 शिवलिंग का उल्लेख है जिनमें से 324 के प्रमाण हैं। शेष 200 में से कुछ के बभनियांव व महावन गांव में होने की उम्मीद है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 26 Feb 2020 12:26 PM (IST) Updated:Wed, 26 Feb 2020 04:46 PM (IST)
उत्खनन : बभनियांव व महावन में काशीखंड के शिवलिंग मिलने के संकेत, आज से खुुदाई शुरू
उत्खनन : बभनियांव व महावन में काशीखंड के शिवलिंग मिलने के संकेत, आज से खुुदाई शुरू

वाराणसी [हिमांशु अस्‍थाना] । काशीखंड साहित्य के मुताबिक पंचकोसी परिक्रमा में 524 शिवलिंग का उल्लेख है, जिनमें से 324 के प्रमाण हैं। शेष 200 में से कुछ के बभनियांव व महावन गांव में होने की उम्मीद है। बीएचयू उत्खनन दल के सह निदेशक प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि यह गांव कभी काशी की तरह धार्मिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध था। काशीखंड की रचना आठवीं-नौवीं शताब्दी में बताई जाती है। बुधवार की सुबह से खुुदाई  शुरू हो गई है।

कुषाण काल व शैव संप्रदाय के कई अहम प्रमाण मिल रहे

सर्वे के मुताबिक बभनियांव में कुषाण काल व शैव संप्रदाय के कई अहम प्रमाण मिल रहे हैंं। यहां शिव व पार्वती की प्राचीन मूर्तियां व जगह-जगह शिवलिंग मिले हैं। गांव के मध्य में कुषाण काल का ब्राह्मïमी लिपि में एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। वहीं गांव के दो से चार मीटर नीचे एक पूरी ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति के साक्ष्य मिलने के संकेत है। एक शिवलिंग लगभग दो मीटर नीचे मिला है। ग्रामीणों ने बताया कि कुएं की खोदाई के दौरान शिवलिंग मिलने पर  दूसरी जगह पर निर्माण कराया गया। स्थानीय निवासी रमेश कुमार के मुताबिक एक बार मिट्टी निकालने के लिए जेसीबी आई थी, जो नीचे की ओर धंसती चली गई। उसे निकालने के लिए दूसरी जेसीबी बुलानी पड़ी थी। बाद में सर्वे से पता चला कि यहां गहरी खाई या सुरंग है। इसके चारों ओर चौड़े ईंट वाले दीवार भी मिले हैं।

प्राचीन काल की नींव पर बने हैं मकान

ग्रामीणों के मुताबिक जब घर बनवाने के लिए नींव खोदी गई, तब उन्हें मोटी दीवारें मिलीं। इसी पर घरों की दीवारें खड़ी कर दी गई है। ग्रामीणों में एक शंका भी है कि कहीं खोदाई की जद में उनके भी घर न आ जाए। जबकि उत्खनन दल का कहना है कि वे महज खाली पड़े खेतों तक सीमित रहेंगे। खोदाई के दौरान फसलों को कोई नुकसान न हो, इसका भी ध्यान रखा गया है।

कभी यहां था जल प्रवाह

उत्खनन दल में शामिल डा. रविशंकर ने बताया कि सेटेलाइट चित्र के मुताबिक इस क्षेत्र में एक प्राचीन जल प्रवाह था। कहा कि काशी का पहली बार उल्लेख अथर्ववेद में है लेकिन इस गांव में बस्ती के प्रमाण इससे भी पहले के मिले हैं।

महावन में भी मिले कई पुरातात्विक अवशेष

बभनियांव के समीप स्थित गांव महावन में भी नौवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी की शिव की खंडित प्राचीन मूर्तियां व शिवलिंग मिले हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले यहां काले रंग की वृहद आकार की मूर्तियां भी थी, लेकिन टूटी मूर्तियों को छोड़ सबकुछ चोरी हो गई। बभनियांव से महावन वाले रास्ते पर एक प्राचीन तालाब भी है जहां की ईंटों व बनावट से प्राचीनता की पुष्टि होती है। तालाब के द्वार पर एक प्राचीन शिवलिंग व मूर्तियां मिली थीं जिसके चारो ओर मंदिर बनवा दिया गया है।

प्राचीन सभ्यताओं के आवास

उत्खनन दल के सह निदेशक प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि स्थानीय लोगों ने खोदाई कर टीले के नीचे से काफी मात्रा में मिट्टी निकाली थी। इससे वहां एक गड्ढा हो गया। टीम जब वहां पहुंची तो एक प्राचीन काल की आवासीय व्यवस्था का पता चला। खड़ी दीवारें व मिट्टी के घड़ों के अवशेष 3500 साल पुरानी संस्कृति के साक्ष्य हैं।

उत्खनन दल में ये हैं शामिल

उत्खनन दल में प्रो. ओंकारनाथ सिंह, प्रो. एके दुबे, प्रो. अशोक कुमार सिंह, डा. रविशंकर व उनके साथ शोधार्थी संदीप सिंह, अजीत पांडेय, रंजीत व सुरेंद्र शामिल हैं।

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