Ganga Yaatra सबने माना, अपनी मां की तरह ही समझना होगा गंगा का दर्द, नदियों का कायाकल्प आवश्‍यक

हमारे जीवन में मां की अहमियत ही कुछ और है। हम चाहे कितने भी कठोर हो जाएं लेकिन मां कठोर नहीं होती।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jan 2020 09:59 AM (IST)
Ganga Yaatra सबने माना, अपनी मां की तरह ही समझना होगा गंगा का दर्द, नदियों का कायाकल्प आवश्‍यक
Ganga Yaatra सबने माना, अपनी मां की तरह ही समझना होगा गंगा का दर्द, नदियों का कायाकल्प आवश्‍यक

बलिया [लवकुश सिंह]। हमारे जीवन में मां की अहमियत ही कुछ और है। हम चाहे कितने भी कठोर हो जाएं, लेकिन मां कठोर नहीं होती। इसके बावजूद हम बार-बार गलती ही करते रहें तो फिर उस मां का मिटना भी तय है। बलिया के दुबेछपरा में गंगा यात्रा की शुरूआत के पल में सभी के मन मिजाज इन्हीं सब बातों की ओर घूमते रहे। मंच से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्र नाथ पांडेय, राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, प्रदेश के मंत्री सूर्यप्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री डा. महेंद्र प्रताप सिंह, प्रभारी मंत्री अनिल राजभर सहित तमाम वक्ताओं की बातें भी गंगा के उद्धार की दिशा में ही चलती रही।

भारी जनसमुदाय के बीच जुटे लोग भी इस बात को मान रहे थे कि नदियों की ऐसी दशा के लिए काफी हद तक सभी लोग जिम्मेदार हैं। गंगा या सरयू के प्रति आम जनमानस काफी श्रद्धावान हैं लेकिन सभी लोग उस वक्त कुछ नहीं बोलते, जब उनके सामने ही कोई भी आकर नदियों में कूड़ा-कचरा फेंक देता है। मंच से कई वक्ताओं ने यह सवाल किया कि क्या हम जन्म देने वाली मां के ऊपर किसी के द्वारा कूड़ा-कचरा डालते देख सकते हैं। यदि नहीं तो गंगा में कूड़ा-कचरा डालते कैसे देख लेते हैं। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गंगा को अपनी खुद की मां की तरह मानने का संदेश देते हुए सभी को बताया कि नदियों का कायाकल्प तभी संभव है, जब घर-घर के लोग मां गंगा को अपनी मां की तरह समझेंगे। दुबेछपरा से यह यात्रा जल व सड़क दोनों मार्ग से जब आगे बढ़ी तो हर गांव के लोगों ने रास्ते में उसका जोरदार तरीके से स्वागत किया। यह यात्रा 27 जिले, 21 नगर निकाय, 1038 ग्राम पंचायतों के पास से गुजरते हुए कुल 1358 किमी की दूरी तय करेगी। इसके लिए जागरूकता से भरे कई नारे नदी नहीं संस्कार है गंगा, देश की श्रृंगार है गंगा सहित और भी कई नारे लोगों को जागरूक कर रहे थे।

पाइपलाइन से बहुत जल्द घर-घर पहुंचेगा नदियों का जल

गंगा यात्रा की जनसभा में सबसे अहम बात यह थी कि नदियों के जल को शुद्ध कर इसकी सप्लाई घर-घर देने की केंद्र सरकार की तैयारी है। इस बात का खुलासा करते हुए बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में इसकी शुरूआत हम पटना से करने जा रहे हैं। पटना से गया तक कुल 190 किमी में गंगा से जोड़कर पाइप लाइन बिछाने की हमारी तैयारी है। पूरे देश में इसी तरह से काम करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के गर्भ में पर्याप्त जल रहे, इसके लिए भी सरकार गंभीर है। देश की 43 प्रतिशत आबादी नदियों के तट पर निवास करती है। इस आबादी के लिए अब यही नदियां वरदान साबित होंगी। इसलिए इन नदियों के किनारे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत पूर्ण कायाकल्प किया जा रहा है। जनमानस का बेहतर सहयोग रहा तो नदियों के किनारे हरियाली का साम्राज्य तो होगा ही ये नदियां तटवर्ती इलाकों के लिए रोजगार का सृजन भी करेंगी। अब आस्था के साथ ही देश की नदियां जीवन यापन का साधन भी बनेंगी।

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