आदिवासियों के खजाने पर हाथियों का डाका, जिन घरों में महुआ वहां पहले पहुंचाता है नुकसान

सोनभद्र में हाथी आए तो उन्हीं घरों को पहले नुकसान पहुंचाए जिनके घरों में महुआ रखा गया था। इस वर्ष भी हाथी आए हैं। ऐसे में ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 07:20 AM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 05:01 PM (IST)
आदिवासियों के खजाने पर हाथियों का डाका, जिन घरों में महुआ वहां पहले पहुंचाता है नुकसान
आदिवासियों के खजाने पर हाथियों का डाका, जिन घरों में महुआ वहां पहले पहुंचाता है नुकसान

सोनभद्र, जेएनएन। जिले का आधे से अधिक हिस्सा आज भी वनों से आच्छादित है। पहाड़ों से घिरा हुआ है। हाथियों का झुंड जब भी छत्तीसगढ़ से जनपद में प्रवेश करता है उस दौरान वनों में रहने वाले आदिवासियों के घरों में रखे महुए पर सबसे पहले हमला बोलते हैं। गत वर्ष जब हाथी आए तो उन्हीं घरों को पहले नुकसान पहुंचाए जिनके घरों में महुआ रखा गया था। इस वर्ष भी हाथी आए हैं। ऐसे में ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। बता दें कि महुआ आदिवासियों का खजाना है। रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी के लिए महुए को सहेज कर रखते हैं।

वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में हाथियों का रिजर्व क्षेत्र है। वहां सैकड़ों हाथी रहते हैं। जिले की सीमा से करीब 40 किमी दूर वह इलाका है। गत करीब चार वर्ष से हर वर्ष कुछ न कुछ हाथी अपने झुंड से बिछड़कर इस इलाके में आते हैं। जंगल से सटे गांवों में जब पहुंचते हैं तो वहां गन्ना, धान, गेहूं आदि को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही रास्ते में पडऩे वाले घरों को भी क्षति पहुंचाते हैं। वन क्षेत्र के फारेस्टर अनिल कुमार बताते हैं कि हाथियों की सुनने की क्षमता काफी अधिक होती है। और तो और वे सूंघकर ढेर सारा काम करते हैं। जहां पर वे होते हैं अगर आस-पास कहीं महुए की गंध आ गई तो वे भड़क जाते हैं। बताया कि गत वर्षों में जिन घरों को हाथियों ने निशाना बनाया उनमें जहां महुआ नहीं था वहां दीवार गिराकर अनाज खा गए, लेकिन जहां पर महुआ मिला वहां तो दरवाजा, खिड़की से लेकर पूरे घर को तहस-नहस कर देते हैं। यानी महुआ जिन घरों में होता है वे घर इनके निशाने पर होते हैं। इन्हें नियंत्रित करने का तरीका नहीं है। केवल इनके झुंड वाले इलाके में भेज दिया जाना ही सही होता है।

नवंबर में मचाया था जमकर उत्पात

बभनी इलाके में गत वर्ष भी छत्तीगढ़ से हाथियों का दो झुंड आया था। इसें एक झुंड बभनी इलाके में तो दूसरा बीजपुर क्षेत्र में उत्पात मचाया था। बभनडीहा में आधा दर्जन की संख्या में हाथियों का झुंड नयन ङ्क्षसह गोंड़ के घर को घेर लिया था। इसी दौरान एक हाथी दरवाजा तोड़ कर आंगन में जा पहुंचा और सूंड़ से चावल व मक्का से भरी बोरियों को उठाकर आंगन के बाहर फेंक दिया। बाहर खड़े अन्य पांच की संख्या में हाथियों ने चावल व मक्का खाया। इसी इलाके में एक व्यक्ति को पटककर मार दिया था। नगराज टोला निवासी बसंतु यादव की फसल को नुकसान पहुंचाया था। करीब एक महीने तक हाथी इलाके में थे। उसी समय रिहंद में डूबने से एक हाथी के बच्चे की मौत हो गई थी।

तीन घरों को गिराया, फसल किया नुकसान

12 हाथियों का झुंड यूपी के बभनी इलाके से निकलकर छत्तीसगढ़ के रघुनाथनगर वन क्षेत्र में पहुंच गया है। रविवार की रात में हाथियों ने छत्तीसगढ़ के चरचरी गांव में पहुंचकर उत्पात मचाया। जंगल के पास स्थित तीन घरों को नुकसान पहुंचाया। यहां के रेंजर रामसरन राम ने बताया कि जगलाल, रामदेव व राजराम के घरों को गिराया है। एक बाइक भी क्षतिग्रस्त हुई है। पीडि़त परिवारों को मुआवजा दिया गया है। जिनका घर गिरा है उन्हें चावल, आंटा आदि खाद्य सामग्री दी गई है। बता दें कि जिले के महुआदोहर गांव के जंगल से छत्तीसगढ़ के चरचरी जंगल की दूरी करीब 10 किमी है। इन्हें यहां से तमोर पिंगला के जंगल में भेजने की कोशिश की जा रही है।

वन्यजीव बोर्ड के सदस्य ने नुकसान का जाला हाल

बभनी विकास खंड की छत्तीसगढ़ सीमा से सटे नवाटोला व महुआ दोहर ग्राम पंचायतों में जंगल से भटक कर आए हाथियों के उत्पात से प्रभावितों का सोमवार को उत्तर प्रदेश वन्यजीव बोर्ड के सदस्य ने हाल जाना। इस दौरान उन्होंने हाथियों के उत्पात से निजात दिलाए जाने का आश्वासन दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। बभनी विकास खंड की नवाटोला व महुआ दोहर ग्राम पंचायतों में बीते रात छत्तीसगढ़ से भटक कर आए हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान प्रभावित हुए लोगों का हाल-चाल जानने के लिए वन्यजीव बोर्ड उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य श्रवण कुमार ने लोगों से मुलाकात की। इस दौरान लोगों ने हाथियों के झुंड द्वारा किए गए नुकसान की बात बताई। इसमें चांद प्रकाश जैन, रिंकू सिंह, ग्राम प्रधान जगदीश सिंह, रामकुमार यादव, जसवंत सिह आदि मौजूद रहे।

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