पूर्वांचल में गलन बढ़ने से आलू की फसल में झुलसा रोग की आशंका बढ़ी, उद्यान विभाग ने किया सतर्क

जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि आठ और नौ जनवरी को बारिश हुई थी। इसके बाद खेतों में नमी अभी तक बनी हुई है। बारिश के बाद लगातार ठंड बढ़ी है। दो दिनों से गलन और बढ़ गई है। शीत पड़ने से मौसम में अधिक नमी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 10:23 AM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 10:23 AM (IST)
पूर्वांचल में गलन बढ़ने से आलू की फसल में झुलसा रोग की आशंका बढ़ी, उद्यान विभाग ने किया सतर्क
धब्बों को तने तक पहुंचने से रोकने के लिए फंफूदीनाशक का छिड़काव करना होगा।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गलन बढ़ने से मौसम में लगातार नमी बढ़ रही है। ऐसे में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। इसके लिए उद्यान विभाग ने किसानों को सतर्क किया है। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता का कहना है कि किसानों को यदि आलू के पौधों की पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे नजर आएं तो सतर्क हो जाएं। यह झुलसा के लक्षण हो सकते हैं। यह धब्बे पत्ते को सुखा देते हैं। पत्तियां तक रोग पहुंचने पर अधिक नुकसान नहीं होता है। यदि यह रोग तने तक पहुंच गया तो फसल बर्बाद हो सकती है। पौधा दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाता है। इसलिए इन धब्बों को तने तक पहुंचने से रोकने के लिए फंफूदीनाशक का छिड़काव करना होगा।

जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि आठ और नौ जनवरी को बारिश हुई थी। इसके बाद खेतों में नमी अभी तक बनी हुई है। बारिश के बाद लगातार ठंड बढ़ी है। दो दिनों से गलन और बढ़ गई है। शीत पड़ने से मौसम में अधिक नमी है। मिट्टी में 80 फीसद से अधिक नमी होने पर आलू में झुलसा रोग की आशंका बढ़ जाती है। चोलापुर बबियांव क्षेत्र के किसान सौरभ सिंह बताते हैं कि गत दिनों बारिश से खेतों में पानी लग गया है। अब नमी अधिक होने से आलू को नुकसान पहुंच रहा है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो अभी कुछ दिनों तक ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है। किसानों को इस रोग के फैलने से ही पहले बचाव के उपाय कर लेने चाहिए।

प्रति हेक्टेयर बनाएं तीन किलो का एक हजार लीटर घोल : वह बताते हैं कि किसी भी फफूंदीनाशक जैसे साइमोक्सेनिल और मैंकोजेब की तीन किलोग्राम मात्रा लेकर उसे एक हजार लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें। डाईमथुवेट मार्क एक किलो, मैन्कोजेब दो किलो, कुल तीन किलो मिश्रण बनाकर प्रति हेक्टेयर एक हजार लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं। फफूंदीनाशक को 10 दिन में दोहराया जा सकता है। बीमारी के हिसाब से इसका समय घटा-बढ़ा लें।

अन्य फसलों के लिए उपयोगी है यह मौसम : कृषि विज्ञानियों का कहना है कि गेहूं और मटर की फसलों के लिए यह मौसम फायदेमंद है। उधर बढ़ती ठंड से गेहूं की फसल को लाभ है। ठंड में यह फसल अच्छी होती है। गोपपुर के किसान मंगला प्रसाद पांडेय ने बताया कि यह मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा है। यह मौसम खास तौर से रबी की अधिकांश फसलों के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें ओस की बूंदे पत्तियों पर रहती हैं। जिससे उनमें नमी बनी रहती है। इसमें गेहूं, मटर, सरसों के दाने की बढ़वार अच्छी होती है।

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