दलाई लामा को नोबल मिलने की 29वीं वर्षगांठ पर धन्यवाद भारत सभा का आयोजन

वाराणसी में परम पावन दलाई लामा को विश्व शांति नोबल की 29वीं वर्षगांठ पर बेनियाबाग में आयोजित धन्यवाद भारत सभा को विधायक रवींद्र जायसवाल ने संबोधित किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 03:01 PM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 10:39 PM (IST)
दलाई लामा को नोबल मिलने की 29वीं वर्षगांठ पर धन्यवाद भारत सभा का आयोजन
दलाई लामा को नोबल मिलने की 29वीं वर्षगांठ पर धन्यवाद भारत सभा का आयोजन

वाराणसी, जेएनएन। परम पावन दलाई लामा को शांति का नोबेल पुरस्कार की 29वीं वर्षगांठ पर सोमवार को तिब्बती समाज ने भारत का आभार जताया। बेनियाबाग स्थित तिब्बती शरणार्थी ल्हासा मार्केट में धन्यवाद भारत आयोजन में अपने मन के भावों को साझा किया। साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक आयोजनों से भी इसे जता दिया। 

 बतौर मुख्य अतिथि तिब्बती उच्च शिक्षण संस्थान के कुलपति पद्मश्री प्रो. नवांग सम्तेन ने कहा कि भारत सदा से ही शांति का समर्थक रहा है। संतों-ऋषियों के देश की सांस्कृतिक विविधता में एकता, भाईचारा व प्रेम की परंपरा विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत है। भारत ने तिब्बत के संस्कृति संरक्षण में महती भूमिका निभाई। इसके अनुष्ठानों-विधानों का अन्य देशों के लोग भी अनुसरण करते हैं। 

विशिष्ट अतिथि ख्यात कथाकार डा. नीरजा माधव ने कहा कि तिब्बती भारत में शरणार्थी नहीं, अतिथि हैं और भारत की परंपरा अतिथि देवो भव की रही है। तिब्बत एक अहिंसक राष्ट्र है, इस स्थिति में दुखद है कि ऐसे देश पर कोई कैसे अत्याचार कर सकता है। चीन की विस्तारवादी नीति से सभी को खतरा है। ऐसे में अन्य देशों का चुप रहना हतप्रभ करने वाला है। सभी एक होंगे तभी तिब्बत आजाद होगा। इसके लिए पूरे मुद्दे को साहित्य के माध्यम से उठाना होगा। 

 वास्तव में साहित्य क्रांति करता है लेकिन यह कमजोर इसलिए पड़ गया क्योंकि लोगों ने पढऩा कम या बंद कर दिया। प्रो. वांगचुक दोरजे नेगी, फादर चंद्रकांत आदि ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन तिब्बत मुक्ति आंदोलन, तिब्बती शरणार्थी ल्हासा मार्केट की सारनाथ इकाई, हिमाचल युवा बौद्ध महासभा ने किया। 

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