ठेकेदार आत्महत्या प्रकरण : भुगतान पर कदम-कदम पर लगता रहा भ्रष्टाचार का ब्रेक Varanasi news
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता के सामने खुद को गोली मारने वाले ठेकेदार अवधेश कबीर चौरा स्थित महिला मैटरनिटी अस्पताल का काम कर रहे थे।
वाराणसी, जेएनएन। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता के सामने खुद को गोली मारने वाले ठेकेदार अवधेश चंद्र श्रीवास्तव अपने पीछे वृद्ध माता पिता, तीन बच्चों व पत्नी को छोड़ गए। उनकी 12 साल की मासूम बेटी व दो बेटे हैं जो पढ़ाई कर रहे हैं। श्रीवास्तव वर्तमान में दो योजनाओं पर काम कर रहे थे। इनमें एक डोमरी स्थित हेलीपोर्ट का है और दूसरा कबीर चौरा स्थित महिला मैटरनिटी अस्पताल का काम कर रहे थे। अस्पताल का काम अंतिम चरण में था और ठेकेदार के सुसाइड नोट के मुताबिक विभागीय अफसरों के दबाव में काफी अनियमितताएं करते हुए कार्य कराया जा रहा था।
अभियंताओं के कहने पर कई बार अस्पताल का डिजाइन तक बदला गया। इस कारण लागत खर्च भी अनुमानित से कई ज्यादा हो गई थी। यही नही निर्माण कार्य में लग रही सामग्री की लिखा पढ़ी भी नहीं की जा रही थी। इस कारण भुगतान भी रोक दिया जाता है। भुगतान न होने के कारण ठेकेदार पर 14 करोड़ 50 लाख का बकाया हो गया था। चाणक्य एप पर बाजीगरी से सीएम को रखा अंधेरे में ठेकेदार की सफारी गाड़ी से मिले सुसाइड नोट के मुताबिक मुख्यमंत्री निगरानी वाले चाणक्य एप पर डीटेल नहीं डाली जाती थी। जबकि परियोजना का कार्य लगभग पूरा हो गया है। मात्र थोड़ा ही कार्य शेष बचा है।
अनुबंध से ज्यादा दर पर मिला कार्य : महिला अस्पताल का कार्य जो अवधेश कर रहे थे वो विभागीय अनुबंध दर से 20 प्रतिशत ज्यादा पर मिला था। इस दौरान अभियंताओं के दबाव में लगातार फर्जी कार्य करने के साथ ही कभी मशीनरी एडवांस तो कभी सिक्योर्ड एडवांस के मद में पैसा दिया जाता था। 25 बार लगाया बिल फिर भी नहीं हुआ पेमेंट हाल ही में जब रनिंग बिल के नाम पर 25 बार अस्पताल का बिल पेश किया गया तो उसे नोट के मुताबिक अवर अभियंता मनोज सिंह व सहायक अभियंता ने तकनीकी कारणों से रुकवा दिया। इसमें तर्क दिया गया कि बिल में जरूरी लिखा पढ़ी नहीं की गई है। सुसाइड नोट के मुताबिक अवर अभियंता मनोज सिंह व सहायक अभियंता के दबाव में अस्पताल निर्माण में की गई अनियमितता की शिकायत लगातार उच्चाधिकारियों से की जाती रही है।
जेई के झगड़े में बिजली विभाग ने दर्ज किया मुकदमा : अस्पताल निर्माण के दौरान बिजली आपूर्ति के लिए विद्युत विभाग से एक प्री पेड बिजली का मीटर भी लगवाया गया था। जिसका रीचार्ज ठेकेदार करता रहा। सुसाइड नोट के मुताबिक अवर अभियंता मनोज सिंह से बिजली विभाग के अफसरों का झगड़ा होने के कारण विभाग ने श्रीवास्तव के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज किया और बाद में रिकवरी तक की कार्रवाई करने की तैयारी चल रही थी। इसको लेकर श्रीवास्तव ने ऊर्जा मंत्री व जिलाधिकारी से भी शिकायत की थी। हालांकि कोई कार्रवाई नहीं की गई।
डीएम ने नहीं की सुनवाई, बेहोश हुआ ठेकेदार : नोट के मुताबिक रिकवरी का मामला सामने आने पर श्रीवास्तव ने बिजली विभाग के अलावा डीएम के आवास पर भी न्याय की गुहार लगाई। सुनवाई न होने पर आवास परिसर में ही श्रीवास्तव बेहोश होकर गिर गया।
सत्ताशीर्ष के करीबियों में शुमार थे अवधेश : आत्महत्या करने वाले अवधेश श्रीवास्तव शुरू से ही सत्ता के करीबी रहे। प्रदेश में चाहे सपा, बसपा या भाजपा सरकार हो अवधेश को सभी शासन काल में आसानी से काम मिल जाते थे। शहर में भी अवधेश बड़े व महत्वपूर्ण कार्य करवा चुके हैं।
विभाग के खेवनहार थे अवधेश : अवधेश श्रीवास्तव पीडब्ल्यूडी के लिए खेवनहार की भूमिका में रहते थे। जो कार्य चुनौती से भरा होता था उसे कराने के लिए उन्हे ही याद किया जाता था। विशेष तौर पर पीएम के आगमन के समय भी अवधेश विभाग के कहने पर संबंधित कार्य पूरा कराते रहे हैं। डोमरी हेलीपोर्ट निर्माण के लिए आरंभ में कोई सामने नहीं आया। तीसरे टेंडर के बाद अवधेश ने इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया।