स्कूल में कमीशन का खेल : 60 रुपये में सरकारी, 250-300 में प्राइवेट प्रकाशकों की किताब

माम कान्वेंट स्कूलों में साइड या रेफरेंस व वर्कबुक के नाम पर निजी प्रकाशकों को बढ़ावा दिया जा रहा कई कान्वेंट स्कूलों की पुस्तक सूची में बाकायदा साइड बुक का नाम दर्ज है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 28 Mar 2019 10:13 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 07:45 AM (IST)
स्कूल में कमीशन का खेल : 60 रुपये में सरकारी,  250-300 में प्राइवेट प्रकाशकों की किताब
स्कूल में कमीशन का खेल : 60 रुपये में सरकारी, 250-300 में प्राइवेट प्रकाशकों की किताब

वाराणसी, जेएनएन। कमीशन का खेल रोकने के लिए शासन की ओर से सभी स्कूलों को एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही पढ़ाने का निर्देश है। इसके बावजूद तमाम कान्वेंट स्कूलों में साइड या रेफरेंस व वर्कबुक के नाम पर निजी प्रकाशकों को बढ़ावा दिया जा रहा। कई कान्वेंट स्कूलों की पुस्तक सूची में बाकायदा साइड बुक का नाम दर्ज है। प्रकाशक और लेखक का भी नाम लिखा है। एनसीईआरटी की तुलना में निजी प्रकाशकों की किताबें महंगी हैं। 

एनसीईआरटी गणित की किताब 60 रुपये में है। जबकि निजी प्रकाशकों की किताबें 250 से 300 रुपये में हैं। ज्यादातर स्कूलों में नर्सरी से आठ तक निजी प्रकाशकों की किताबें चल रहीं। जिन्हें खरीदने के लिए अभिभावक बाध्य हैं। यानी स्कूलों द्वारा उनकी जेब पर सीधे डाका डाला जा रहा है।

दावे को धता बता रही हकीकत : उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अधिनियम आने के बाद दावा है कि कमीशनखोरी रुकी है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। निजी प्रकाशकों व निजी विद्यालयों के बीच सांठगांठ अब भी है। यही कारण है कि कान्वेंट स्कूलों की किताबें सभी दुकानों पर नहीं मिलतीं।

खास दुकानों पर जाना मजबूरी : यूनिफार्म की भांति किताब-कापी भी कुछ खास दुकानों पर ही मिलती हैं। इन्हीं से किताबें खरीदने को अभिभावक बाध्य हैं। ज्यादातर दुकानदार प्रिंट रेट पर किताबें बेच रहे हैं। निजी प्रकाशकों की किताबों पर अच्छा कमीशन होने पर भी एक रुपये की छूट अभिभावकों को नहीं देते। वहीं संबंधित स्कूलों को मोटा कमीशन देते हैं। 

हर वर्ष बढ़ रहा किताबों का दाम : प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के दाम में हर साल इजाफा हो रहा है। इस वर्ष भी किताबों के दामों में 30 फीसद तक वृद्धि हुई है। जबकि एनसीईआरटी की किताबों के दाम में महज पांच रुपये की वृद्धि।

नई किताबें खरीदना मजबूरी : बच्चों के लिए हर साल नई किताबें खरीदना अभिभावकों की मजबूरी है। छोटी क्लास में टेस्ट बुक होने के कारण पुरानी किताबें काम नहीं देती हैं। वहीं टेस्ट बुक 50 रुपये से लेकर 250 रुपये तक में है। 

नर्सरी की किताबें ज्यादा महंगी : हाईस्कूल-इंटरमीडिएट में एनसीईआरटी की किताबें चलने के कारण अभिभावकों को काफी राहत है। यदि बच्चे साइड बुक व वर्कबुक न लें तो हाईस्कूल व इंटर की किताबें सिर्फ हजार रुपये में मिल जा रही हैं। वहीं नर्सरी से जूनियर हाईस्कूल स्तर पर निजी प्रकाशकों की किताबें चलने के कारण अभिभावकों को करीब 2500 से लेकर 3500 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। 

पन्ने हुए कम, बढ़ गए दाम : किताबों के साथ कापियां भी महंगी हुई है। इसके अलावा कापियों के पन्ने भी कम कर दिए गए हैं। पहले 180 पेज के रजिस्टर की कीमत 40 रुपये थी। अब इसे 172 पेज का करके दाम बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार 120 पेज की कापी की कीमत 28 से बढ़ा कर 32 रुपये कर दी गई है। पांच रुपये में मिलने वाली 32 पेज की टेस्ट कापी 20 पेज कर दी है। 

30 रुपये की डायरी 100 रुपये में : प्राय: सभी स्कूलों में डायरी का प्रचलन है। अभिभावकों का कहना है कि थोक में यदि डायरी छपाई जाए तो महज 30 रुपये कीमत आएगी। वहीं डायरी का 100-100 रुपये वसूला जाता है। वहीं टाई-बेल्ट के नाम पर अलग से पैसा लिया जाता है।  

बैग और स्टेशनरी का भी खर्च : नया सत्र शुरू होते ही कापी, किताब के साथ बैग, पेंसिल, अन्य स्टेशनरी पर खर्च करना अभिभावकों की मजबूरी है। बाजार में अच्छे बैग 700 से 3000 रुपये में हैं। 

एनसीईआरटी की नकली किताबें : इस वर्ष एनसीईआरटी की किताबों का अभाव नहीं है। हालांकि, कक्ष छह, सात व आठ में साइंस और मैथ की पुस्तकों का अभाव बना हुआ है। इसे देखते हुए एनसीईआरटी की नकली किताबें भी बाजार में बिक रही हैं। एनसीईआरटी में वॉटर मार्क से होलोग्राम हर पन्ने पर है। जबकि नकली किताबों में वॉटर मार्क गायब है।  

प्रतिवर्ष किताबों के बढ़ते दाम

कक्षा 

2017 2018 2019
नर्सरी स्तर 2200 2500 3300
एक से पांच 2500 3000 4000
छह से आठ  2600 2800  4500
नौ से 12 4000 4500  5700
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