सेहत की बात.. बच्चे को कुपोषण के कब्जे से मुक्त कराएगा नारियल का तेल

विशेषज्ञ मानते हैं कि नारियल का तेल बच्चों की सेहत के लिए काफी लाभदायक है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Aug 2018 08:05 AM (IST) Updated:Tue, 21 Aug 2018 08:05 AM (IST)
सेहत की बात.. बच्चे को कुपोषण के कब्जे से मुक्त कराएगा नारियल का तेल
सेहत की बात.. बच्चे को कुपोषण के कब्जे से मुक्त कराएगा नारियल का तेल

वंदना सिंह, वाराणसी : देश में कुपोषण क ो रोकने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। मगर इसके बावजूद कुपोषण का दायरा बढ़ता जा रहा है। यह तेजी से बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। इतना ही नहीं हर साल कुपोषण की गिरफ्त में आने से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो रही है। मगर क्या आप जानते हैं कि बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए नारियल का तेल बेहतरीन दवा है।

सही डायट और नारियल तेल : राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय की डा.टीना सिंघल बताती हैं कि कुपोषण गंभीर बीमार है। मगर शुरुआत में ही अगर इसका उपचार शुरू कर दिया जाए तो इलाज आसानी से हो जाता है। इसके लिए हम बच्चों को दवाओं के साथ उनकी आयु और वजन के अनुसार नारियल का तेल व सही डायट देने की सलाह देते हैं। आयु व वजन के अनुसार सुबह शाम आधा से एक चम्मच नारियल तेल बच्चों को देने से कुपोषण में लाभ मिलता है। दरअसल नारियल तेल में 'एमसीटी' पाया जाता है जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। छह माह से पांच साल तक के बच्चों को इसे देने के लिए चिकित्सक कहते हैं। इससे कई बच्चे ठीक हो चुके हैं। अगर बच्चा कुपोषित हो चुका है तो भी इसके सेवन से काफी हद तक ठीक होने में सहायता मिलती है। हां यह भी देखना होगा कि बच्चे को कोई अन्य गंभीर बीमारी तो नहीं है।

ऐसे बचाएं : जन्म से छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाना चाहिए। इस बीच बच्चे को पानी भी नहीं पिलाएं क्योंकि मां के दूध में उसे यह सब मिल जाता है। अगर कि न्हीं कारणों से मां बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पा रही है तो बच्चे को गाय का दूध बिना पानी मिलाए पिलाएं। जब बच्चा छह माह का हो जाए तो उसे उबला आलू, चावल, खिचड़ी, फल खिलाएं। इस प्रकार उसका डायट धीरे धीरे बढ़ाते जाएं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का डायट चार्ट चिकित्सक से समय समय पर अपडेट जरूर करा लें। कुपोषण का कारण

- बच्चे को मां का दूध न मिल पाना।

- गाय के दूध में पानी मिलाकर पिलाना।

- बोतल से दूध पिलाने पर डायरिया होना।

- बच्चे को उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन या विटामिन न मिलने से।

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