वाराणसी के दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से क्‍लोरीन गैस का रिसाव, लोगों का घुटने लगा दम

सारनाथ स्थित दीनापुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से शनिवार रात को क्लोरीन गैस रिसाव होने से लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत होने लगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 22 Aug 2020 10:14 PM (IST) Updated:Sun, 23 Aug 2020 10:23 AM (IST)
वाराणसी के दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से क्‍लोरीन गैस का रिसाव, लोगों का घुटने लगा दम
वाराणसी के दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से क्‍लोरीन गैस का रिसाव, लोगों का घुटने लगा दम

वाराणसी, जेएनएन। अस्सी एमएलडी एसटीपी दीनापुर में शोधित मलजल में बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए नवनिर्मित क्लोरिनेशन टैंक बिल्डिंग में सुबह ही टेस्ट हुआ था और शाम साढ़े छह बजते-बजते गैस का रिसाव शुरू हो गया। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। क्लोरीन गैस के रिसाव की जानकारी जलनिगम के अधिशासी अभियंता और अन्य उच्चाधिकारियों को मिली तो उनके हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में एसटीपी दीनापुर प्लांट पहुंचे। तब तक प्लांट के आस-पास की बस्तियों में गैस से लोगों के दम घुटने शुरू हो गए थे।

अधिशासी अभियंता विवेक सिंह ने पहुंच कर गैस रिसाव बंद कराने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए। मौके पर सारनाथ पुलिस और फायर ब्रिगेड भी पहुंची। मगर क्लोरीन गैस के तेज रिसाव के आगे सारे प्रयास विफल हो गए। काफी मशक्कत के बाद कंपनी के सेफ्टी ऑपरेटर प्रशांत और अनिल श्रीवास्तव ने आक्सीजन लगाकर क्लोरिनेशन बिल्डिंग में पहुंचे और गैस सिलेंडर का रिसाव बंद किया। गैस के रिसाव का असर आस-पास के बस्तियों में भी देखने को मिला। लोगों को घुटन जैसा महसूस होने लगा तो एक-दूसरे से पूछने लगे। बाद में पता चला कि एसटीपी दीनापुर में गैस रिसाव हो रहा है, जिसे लेकर क्षेत्रीय निवासी दहशत में आ गए। गैस रिसाव के बारे में जब अधिशासी अभियंता विवेक सिंह से पूछा गया तो वे कारण नहीं बता सके। बोले अब रविवार को जांच करने पर ही पता चल पायेगा। उन्होंने कहा कि 18 करोड़ से निर्मित क्लोरिनेशन टैंक की टेस्टिंग चल रही है। शाम को लगभग 7.45 बजे ऑपरेटर श्रीकांत ने मुझे रिसाव के बारे में बताया। सूचना पाते ही मौके पर गया। क्लोरीन टैंक बिल्डिंग में 900-900 किलोग्राम के क्लोरीन गैस के आठ सिलेंडर रखे गये हैं। रिसाव सिलेंडर से हुआ या कहीं और से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। जांच के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकेगा।

आस-पास के लोगों की सुरक्षा का नहीं ख्याल

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट क्षमता के हिसाब से जनपद का सबसे बड़ा प्लांट है, जहां कुल 220 एमएलडी सीवेज ट्रीट करने की क्षमता है। बावजूद इसके प्लांट में घटित होने वाली आकस्मिक घटनाओं को लेकर पिछले 27 वर्षों में न तो आसपास के लोगों को जागरूक किया गया और न ही प्लांट से निकलने वाली दुर्गंध और गैस का मानव जीवन पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों से अवगत ही कराया गया। मौके पर पहुंचे मुख्य अभियंता एके पुरवार ने इस बाबत कहा कि इसके लिए कोई कार्यक्रम नहीं चला। दीनापुर के मनीष राजभर ने कहा कि मेरी पत्नी और नवजात शिशु को सांस लेने में परेशानी होने लगी थी। मुन्ना ङ्क्षसह का कहना था कि हवा के रुख के साथ क्लोरीन गैस का फैलाव हो रहा था, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन गया। सलारपुर की रीता मौर्या ने कहा कि गैस रिसाव की सूचना मिलते ही हम लोग अवाक रह गये। कौन सी गैस है। इससे क्या नुकसान होगा। हमें कुछ नहीं मालूम था। रात्रि का समय था, कहीं जा भी नहीं सकते थे। प्लांट की सुरक्षा-व्यवस्था की पोल इस घटना ने खोल कर रख दी है।

छह जुलाई को जलकल पंप हाउस में रखे क्लोरीन सिलिंडर लीक हो गई थी

इस साल छह जुलाई की शाम करीब 7.30 बजे जलकल पंप हाउस में रखे क्लोरीन का सिलिंडर लीक हो गई थी। कर्मचारी कुछ समझ पाते तब तक वहां की हवा प्रदूषित हो गई और आठ लोग चपेट में आ गए। कुछ की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। क्लोरीन की कुछ खाली टंकी विगत 10 वर्षों से कबाड़ में पड़ी हुई थी और उसी में किसी टंकी में गैस रह गया था जिससे रिसाव शुरू हो गया था। जल संस्थान के महाप्रबंधक ने बताया था कि क्लोरीन की कुछ खाली टंकी विगत 10 वर्षों से कबाड़ में पड़ी हुई थी, संभवत किसी टंकी में गैस रह गया था जिससे रिसाव शुरू हो गया था।

कबाड़ में रखा था डेढ़ दशक पुराना सिलेंडर

जन स्वास्थ्य को लेकर जलकल विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई। क्लोरीन गैस के जिस सिलेंडर से रिसाव हुआ वह डेढ़ दशक पुराना है। निष्प्रयोज्य होने के कारण उसे जलकल दफ्तर के कबाड़ में रख दिया गया था। इसमें सुरक्षा का ख्याल तक नहीं रखा गया।  खास यह कि घटना के दौरान जलकल महाप्रबंधक परिसर में पेयजल प्रबंधन से जुड़े कार्यों का जायजा ले रहे थे। जानकारी होते ही मौके पर पहुंचे। अन्य कर्मचारी व तकनीकी विशेषज्ञ भी दौड़़ते-भागते वहां आ गए। आनन-फानन सिलेंडर पानी के टैंक में फेंका गया। अग्निशमन यंत्र से भी बचाव किया गया। इस बीच अग्नि शमन दल आ गया और राहत व बचाव का कार्य शुरू किया गया।

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