कोरोना के डर से चीन नहीं जा रहे वाराणसी में ठहरे चाइनीज पर्यटक, 12 सदस्‍य आए थे विवाह समारोह में

कोरोना वायरस ने चीन में करीब 41 लोगों की जान ले ली है और 1300 से अधिक इसकी जद में हैं। चीन के वुहान प्रांत में अधिक प्रभाव है।

By Edited By: Publish:Sun, 26 Jan 2020 02:18 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jan 2020 02:18 AM (IST)
कोरोना के डर से चीन नहीं जा रहे वाराणसी में ठहरे चाइनीज पर्यटक, 12 सदस्‍य आए थे विवाह समारोह में
कोरोना के डर से चीन नहीं जा रहे वाराणसी में ठहरे चाइनीज पर्यटक, 12 सदस्‍य आए थे विवाह समारोह में

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस ने चीन में करीब 41 लोगों की जान ले ली है और 1300 से अधिक इसकी जद में हैं। चीन के वुहान प्रांत में अधिक प्रभाव है। वहां की सरकार ने छह प्रभावित शहरों में आने-जाने पर रोक लगा रखी है। इन सबके बीच 15 जनवरी से काशी में रुके चीन के सिचुआन प्रांत स्थित चेंग्दू सिटी के करीब 12 मेहमान कोरोना वायरस की डर से वतन की राह नहीं पकड़ रहे हैं। इनमें से प्रो. जैंग हेनलिंग के मुताबिक वे विवाह समारोह में शामिल होने आए हैं। प्रो. हेनलिंग ने बताया कि कोरोना वायरस को लेकर तीन दिन पूर्व उन्हें चीनी सरकार की ओर से बचाव के बाबत आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

इसके बावजूद इस टीम में शामिल चेन झिंग, टैंग किनकिन, ल्यू किन, वैंग झी यू, ग्लोरिया हुआंग, यंग यू चेंग, लियांग ली, ल्यू ली, यिन सिहांग, वैंग पेंग, जोंग वेई व टैंग मिली को अब जाने से डर लग रहा है। हालांकि चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित मॉलीक्यूलर बॉयोलाजी यूनिट के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीत कुमार सिंह इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनके मुताबिक बुजुर्ग या बच्चे जो पहले से ही बीमार हैं उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यह वायरस इन्हें ही अधिक नुकसान पहुंचाता है। कमजोर लोगों को अधिक नुकसान प्रो. सिंह के अनुसार वायरस दो तरह के होते हैं, डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) वायरस व आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) वायरस। कोरोना (2019 एनसीओवी) आरएनए वायरस है। जो कुछ जानवरों में तो कुछ मनुष्यों में भी पाया जाता है। जब जानवरों या दूसरे जीवधारियों से होकर कोई वायरस मानव शरीर में पहुंचता है तो उससे लड़ने के लिए कोई प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती। शरीर की रक्षा प्रणाली उसकी पहचान नहीं कर पाती। ऐसे में यह शुरू में तेज अटैक कर शरीर को क्षति पहुंचाता है। पहले से गंभीर रूप से बीमार लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। वे इसे सहन नहीं कर पाते, नतीजतन मौत तक हो जाती है। कोरोना वायरस आरएनए वायरस होने से इसमें म्यूटेशन अधिक होता है। इनका स्वरूप बदलता रहता है। ऐसे में इसकी पहचान कर पाना या डायग्नोस कर पाना बहुत ही मुश्किल है। यही वजह है कि इसके लिए अब तक वैक्सीन या दवा विकसित नहीं हो सकी है। 

चीन ने अपने पांच प्रभावित शहरों में आवाजाही पर रोक लगा रखी है। यह अल्प समय के लिए फायदेमंद है। अन्य जगहों पर इसका प्रसार नहीं होगा। मगर आगे चलकर प्रभावित शहरों में स्थिति और विकट हो जाएगी। कोरोना वायरस जानवरों से फैला या सी-फूड (समुद्री जीवों) से यह पता लगाया जा रहा है। प्रो. सिंह के मुताबिक यदि सोर्स का पता चल जाए तो काफी हद तक निदान भी संभव होगा। सोर्स से निकले वायरस व म्यूटेंट होकर मनुष्यों में फैले वायरस के बीच तुलनात्मक वैज्ञानिक अध्ययन से इसके बॉयोलाजिकल स्ट्रक्चर का पता लगाया जा सकता है, जो वैक्सीन निर्माण में सहायक साबित होगा।

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