पबजी गेम बना अभिभावकों के जी का जंजाल, बच्चे गेम में मोबाइल पर बिता रहे ज्‍यादा समय

पबजी गेम बच्चों व किशोरों की पहली पसंद बन चुका है। इस गेम के दुष्परिणामों को लेकर अभिभावक भी परेशान नजर आने लगे हैं।

By Vandana SinghEdited By: Publish:Fri, 17 May 2019 05:21 PM (IST) Updated:Sat, 18 May 2019 07:27 PM (IST)
पबजी गेम बना अभिभावकों के जी का जंजाल, बच्चे गेम में मोबाइल पर बिता रहे ज्‍यादा समय
पबजी गेम बना अभिभावकों के जी का जंजाल, बच्चे गेम में मोबाइल पर बिता रहे ज्‍यादा समय

बलिया, जेएनएन।  स्कूलों में सत्रावसान से पहले ही कक्षा 12वीं तक के विद्यालय बंद कर दिए गए। अब छात्र पढ़ाई-लिखाई छोड़ मोबाइल के वीडियो गेम पब्जी पर अपना अधिकतर समय देना शुरू कर दिए हैं। पबजी गेम बच्चों व किशोरों की पहली पसंद बन चुका है। इस गेम के दुष्परिणामों को लेकर अभिभावक भी परेशान नजर आने लगे हैं। बच्चों का अधिकांश समय पबजी गेम में ही व्यतीत होने लगा है। इस गेम का दुष्परिणाम भी धीरे धीरे सामने आने लगा है।

  बच्चों के हाथ में हमेशा मोबाइल दिख रहा है। अगर अभिभावक मोबाइल देने से मना करते हैं तो बच्चे जिद पकड़ ले रहे हैं। मजबूर होकर अभिभावक मोबाइल बच्चे के हाथ में थमा दे रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले पब्जी गेम को लेकर सैनिकों की भी खबर अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है। इस गेम के चक्कर में फंस चुके बच्चों की उम्र 8 से 10 वर्ष व किशोरों की उम्र 13 से 15 वर्ष के बीच बताई जा रही है। अपने बच्चों की भविष्य व सेहत को लेकर तित अभिभावकों ने मोबाइल से पब्जी गेम को हटाने के लिए गुहार लगाई है।

  सीएचसी के अधीक्षक डा.एके राय का कहना है कि पबजी गेम का नशा हेरोइन व शराब के नशे से भी खतरनाक है। इस गेम का नशा जिस बच्चे व किशोर को पकड़ लेता है उसका मन अन्य कामों में नहीं लगता है। बच्चा हमेशा गुमशुम रहने लगता है। मोबाइल उसकी कमजोरी बन जाती है। गेम के नशे में फंस चुके बच्चे या किशोर का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। उसकी सेहत भी बिगड़ जाती है। उन्होंने अभिभावकों को आगाह किया है कि वह अपने बच्चे का हमेशा ध्यान रखें व उसे मोबाइल से दूर ही रखे।

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