कालीन निर्यातकों ने किया चीन के एशियन डोमोटेक्स का बहिष्कार, कहा देशहित से बढ़कर कारोबार नहीं

वर्चुअल कारपेट फेयर में चीनी निर्यातकों को हटाने के बाद अब कालीन निर्यात संवर्धन परिषद ने एशियन डोमोटेक्स में शामिल नहीं होने का बड़ा फैसला लिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 01 Sep 2020 06:56 PM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2020 06:56 PM (IST)
कालीन निर्यातकों ने किया चीन के एशियन डोमोटेक्स का बहिष्कार, कहा देशहित से बढ़कर कारोबार नहीं
कालीन निर्यातकों ने किया चीन के एशियन डोमोटेक्स का बहिष्कार, कहा देशहित से बढ़कर कारोबार नहीं

भदोही, जेएनएन। वर्चुअल कारपेट फेयर में चीनी निर्यातकों को हटाने के बाद अब कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी)  ने एशियन डोमोटेक्स में शामिल नहीं होने का बड़ा फैसला लिया है। चीन के शंघाई शहर में 31 दिसंबर को डोमोटेक्स शुरू हो चुका है, यह दो सितंबर तक चलेगा। पहली बार कालीन मेले में भारतीय निर्यातकों की हिस्सेदारी नहीं है। निर्यातकों की मानें तो देशहित से बढ़कर कारोबार नहीं है। पिछले साल हुए आयोजन के दौरान देश के 70 निर्यातकों ने हिस्सेदारी की थी। अबकी भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव के चलते देश के निर्यातकों ने फेयर से बहिष्कार कर दिया है।

मार्च में होना था चीनी आयोजन, कोरोना ने किया रद

डोमोटेक्स एशिया चाइना फ्लोर-20 का आयोजन 24 से 26 मार्च के बीच प्रस्तावित था लेकिन कोरोना के कारण रद करना पड़ा था। उस वक्त देश के निर्यातक इसमें हिस्सेदारी की योजना बना रहे थे। सालों से इसमें भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल, चीन व थाइलैंड समेत कई कालीन निर्यातक देश शामिल होते रहे हैं।

फेयर से होती है कारोबार की उन्नति

कालीन व्यवसाय के विकास को देखते हुए विश्व के चार देशों में डोमोटेक्स का आयोजन होता है। जर्मनी के हनोवर शहर में जनवरी में वृहद आयोजन होना है, इस डोमोटेक्स में दुनिया भर के देशों की संयुक्त भागीदारी होती है। सीईपीसी अपनी तरफ से 50 फीसद स्टाल बुङ्क्षकग कराती आई है। 20 निर्यातक आयोजन समिति से संपर्क  कर भागीदारी करते आए हैं। इस मेले में निर्यातकों का करोडों का व्यवसाय होता है।

-देश की सीमा पर तनाव है। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं। भारतीय कालीन निर्यातकों को एशियन डोमोटेक्स में भागीदारी नहीं करने का फैसला लिया गया है। भले ही इससे कालीन उद्योग को नुकसान हो लेकिन देशहित से बढकर कुछ नहीं है।

- सिद्धनाथ सिंह, चेयरमैन, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद

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