अपने ही शहर में भुला दिए गए शहनाई के शहंशाह, जयंती पर भी वीरान रहा उस्ताद का रौजा

वाराणसी में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती गुरुवार को दरगाह फातमान स्थित उनके रौजे पर अकीदत के साथ मनाई गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 12:18 PM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2019 12:18 PM (IST)
अपने ही शहर में भुला दिए गए शहनाई के शहंशाह, जयंती पर भी वीरान रहा उस्ताद का रौजा
अपने ही शहर में भुला दिए गए शहनाई के शहंशाह, जयंती पर भी वीरान रहा उस्ताद का रौजा

वाराणसी, जेएनएन। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती गुरुवार को दरगाह फातमान स्थित उनके रौजे पर अकीदत के साथ मनाई गई। मगर विडंबना देखिए न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही संगीत घराने की कोई शख्सीयत उस्ताद को खेराजे अकीदत पेश करने पहुंचा। यह रंजो-गम उस्ताद के परिजनों की आंखों में साफ तौर पर दिखा भी। परिजनों ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि अब क्या मतलब है, जब खां साहब थे तो सभी आया करते थे। अब वे ही नहीं हैं तो कोई आता भी नहीं। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां फाउंडेशन के प्रवक्ता शकील अहमद जादूगर ने कहा कि कई विद्यायक और मंत्री जिले में हैं मगर उस्ताद की कब्र पर अकीदत के फूल चढ़ाने का वक्त किसी को नहीं मिला। इस मौके पर उस्ताद की कब्रगाह पर उनके घर के लोगों के अलावा अजय राय, रंजन द्रिवेदी, राघवेंद्र चौबे, संजय सिह डाक्टर आदि ने अकीदत के फूल चढ़ाए और कहा कि खां साहब भारत रत्न के साथ ही साथ महान संगीतज्ञ भी थे, वाराणसी में ही वो पले बढ़े। उनमें बनारसीपन कूट-कूट कर भरा था। इतने महान कलाकार होते हुए भी जिस सादगी का जीवन वह व्यतीत करते थे वह सदैव प्रेरणा देता रहेगा। काशी ने पूरे भारत वर्ष को एक से एक महान व्यक्तित्व, संगीतज्ञ, खिलाड़ी, साहित्यकार आदि रत्न दिये। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां द्वारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां फाउंडेशन की ओर से आयोजित जयंती समारोह में उस्ताद के बेटे उस्ताद नाजिम हुसैन, अली अब्बास खां, नासिर अब्बास, अब्बास मुर्तजा शम्सी, बेटी जरीना बेगम, अबुल हसन, हादी हसन, अब्बास सिराजी, रजाब अब्बास, प्रमोद वर्मा, अब्बास रिजवी शफक, काबे अली, खां साहब के पौत्र आफाक हैदर आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की। 

लगे उस्ताद की प्रतिमा ताकि याद रखे दुनिया

समारोह के संयोजक शकील अहमद जादूगर व आफाक हैदर ने सरकार को उसका वो वादा याद दिलाया जिसमे कहा गया था कि कैंट स्टेशन पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कि प्रातिमा लगाई जाएगी। जादूगर ने कहा कि बिस्मिल्लाह खां ने हमेशा फकीरी कि जिंदगी को जिया, अब वो नही है तो उन्हे लगातार भुलाया जा रहा है। उनकी प्रतिमा लग जाने से युवा पीढ़ी भी उन्हें याद रखेगी। ज्ञात हो कि 21 अगस्त 2006 को लंबी बीमारी के बाद जब उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का देहांत हुआ तो देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की मौजूदगी में उन्हें 21 तोपों की सलामी के बाद दरगाह फातमान में सिपुर्दे-खाक किया गया था। उस समय प्रशासनिक अधिकारी, संगीतकार ही नहीं बल्कि केंद्र और प्रदेश सरकार के तमाम प्रतिनिधि श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। मगर आज उनकी जयंती पर मुटठी भर लोगों ने ही उनकी कब्रगाह पर पहुंच कर फातेहा पढ़ी और अकीदत के फूल चढ़ाए। 

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