दुनिया के टॉप शैक्षणिक 200 संस्थानों की सूची में होगा बीएचयू : प्रो. राकेश भटनागर
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की योजनाओं चुनौतियों और बदलावों पर कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने दैनिक जागरण से अपनी योजनाओं को साझा किया।
वाराणसी, जेएनएन। एक शताब्दी का सफर पूरा कर चुका काशी हिंदू विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ ही छात्रों में राष्ट्र निर्माण संबंधी तत्वों को पोषित भी करता है। विवि ने देश को कई भारत रत्न दिए। विज्ञान, साहित्य, प्रशासन सहित विविध क्षेत्रों में कामयाबी के सोपान तय कर यहां के छात्र महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार कर रहे हैं। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) के तहत जारी वर्ष 2019 की रैंकिंग में बीएचयू को लगातार तीसरे वर्ष भी तीसरा स्थान मिला है। कुलपति प्रो. राकेश भटनागर विवि को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में शुमार कराने का न सिर्फ सपना संजोए हैं, बल्कि उसे आकार देने का भी प्रयास कर रहे हैं। योजनाओं, चुनौतियों और बदलावों पर कुलपति ने दैनिक जागरण से अपनी योजनाओं को साझा किया। प्रस्तुत हैं मो. रईस और अनुराग सिंह संग बातचीत के प्रमुख अंश...
शैक्षणिक स्थिति और बेहतर करने की दिशा में क्या प्रयोग हो रहे हैं?
-बीएचयू में प्रवेश के लिए पहले जहां देश भर के 20 केंद्रों पर परीक्षा होती थी, इस बार टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) के माध्यम से 150 केंद्रों पर परीक्षा होगी। ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यम से परीक्षा कराने का मकसद देश के सुदूर क्षेत्रों की मेधा को उचित प्लेटफार्म मुहैया कराना है, ताकि विवि ही नहीं बल्कि देश को भी बेहतर नतीजे मिल सकें। जीरों नंबर या माइनस नंबर आने पर भी प्रवेश की परंपरा खत्म कर दी गई है। अब अनारक्षित वर्ग के छात्रों को कम से कम 35 फीसद व एससीएसटी वर्ग के छात्रों को 25 फीसद अंक लाना अनिवार्य होगा। विवि में शिक्षकों के 650 पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्द भरा जाएगा।
सर्वे में तीसरा स्थान पाए बीएचयू को शीर्ष पर लाने को क्या उपाय किए जा रहे हैं?
-अनुसंधान की गुणवत्ता की बेहतरी की दिशा में सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर, अटल इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। रिसर्च ग्रांट को प्रयोग करने के नियम - कायदे पहले के मुकाबले आसान हुए हैं। हमारे शिक्षक व शोध छात्र इनका इस्तेमाल कर अच्छे रिसर्च और पब्लिकेशन देंगे।
अगले पांच साल के लिए बीएचयू को 1000 करोड़ रुपये मिलेंगे, निवेश की क्या योजना है?
-यह धनराशि भविष्य के भारत को तैयार करने की दिशा में किया गया निवेश है। वैश्विक शिक्षण संस्थानों की सूची में बीएचयू का स्थान 600-700 के बीच है। पांच साल में इस धनराशि का प्रयोग कर यदि हमारी रैंकिंग 500 के भीतर आती है, तो अगले पांच साल के लिए दोबारा 1000 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसके बाद 200 के भीतर रैंकिंग आने पर 1000 करोड़ रुपये और मिलेंगे। इस तरह यह कुल 15 वर्ष की योजना है, जो शिक्षण के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार कर हमें विश्व की शीर्ष संस्थाओं की श्रेणी में लाएगा।
कचरा प्रबंधन जटिल समस्या है, इसके निदान को क्या हो रहा?
-घरेलू कचरे के साथ बीएचयू में बायो-केमिकल, रेडियो एक्टिव, हास्पिटल वेस्ट आदि निकलते हैं। कचरा प्रबंधन के लिए 28 मार्च को बैठक भी हुई, जिसमें कई कंपनियों ने प्रस्तुतिकरण दिया। 500 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र में कंपनी अपने खर्चे पर प्लांट लगाएगी। कचरा प्रॉसेस कर बिजली बनाई जाएगी, अनुबंध के तहत बीएचयू वह बिजली बाजार कीमत पर अगले 20-25 साल तक खरीदेगा। वहीं बाई प्रोडक्ट के तौर निकली ठंडी हवा व गर्म पानी बीएचयू को निश्शुल्क मिलेगा, जबकि सड़क बनाने में प्रयुक्त तीसरा बाई प्रोडक्ट सस्ती दर पर उपलब्ध होगा।
आइएमएस से एम्स कब तक और अस्पताल की वर्तमान स्थिति क्या है?
- छह माह की मेहनत के बाद सरकार तैयार हुई। एमओयू के बाद डिटेल रिपोर्ट मांगी गई थी। इसके तहत पहला काम अस्पताल के पुराने ढांचे को दुरुस्त करना था, जिसके लिए हमने 400 करोड़ रुपये की मांग की थी। फिलहाल करीब 256 करोड़ रुपये पर सहमति बनी है। पैसा आते ही अस्पताल के पुराने ढांचे का कायाकल्प किया जाएगा।
अस्पताल को 'पेशेंट फ्रेंडली' बनाने के क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- 20 करोड़ की बड़ी आबादी को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने वाले अस्पताल के लिए यह बड़ी चुनौती है, वो भी तब जब हमारे पास संसाधन सीमित हों। एम्स को प्रति बेड सालाना 20 लाख और बीएचयू अस्पताल को महज 2 लाख का ही फंड मिलता है। बावजूद इसके हम सीमित संसाधन में उत्तम सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
पहली बार विवि में ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है। शत प्रतिशत कब तक होगा?
- कोशिश होगी कि आगामी शैक्षणिक सत्र से सारी परीक्षाएं ऑनलाइन ही कराई जाएं। यहां तक कि नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति भी ऑनलाइन परीक्षा के माध्यम से संपन्न कराई जाएगी। वहीं वाइवा जेएनयू की तर्ज पर स्काइप के माध्यम से कराया जाएगा।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड स्टेम सेल रिसर्च सेंटर भवन तैयार है, शुरू कब होगा?
- छह माह पहले की भवन हैंडओवर हुआ है। मशीनों की खरीद की जा रही है। सारे इक्विपमेंट आते ही सेंटर जनहित में शुरू कर दिया जाएगा।
सुरक्षा को लेकर बराबर सवाल उठते रहे हैं, क्या कोई बदलाव भी इस दिशा में संभावित है?
- विवि में कई तरह की चुनौतियां हैं, जिनका एक-एक कर निदान किया जा रहा है। चाहे सुरक्षा व्यवस्था की बात हो या प्रशासनिक सुचिता का मसला हो, सभी मोर्चों पर सुधार किया जा रहा है।