बलिया में 14 साल से बिना साक्ष्‍य काटी जेल की कैद, हाईकोई से आजीवन कारावास की सजा माफ

हाईकोई से आजीवन कारावास की सजा माफ होने के बाद शनिवार की देर रात करीब आठ बजे मुकेश तिवारी की रिहाई हो गई। उन्होंने जेल के बाहर खुली हवा में सांस ली। वह 14 साल से जिला कारागार में सजा काट रहे थे।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 05:40 PM (IST)
बलिया में 14 साल से बिना साक्ष्‍य काटी जेल की कैद, हाईकोई से आजीवन कारावास की सजा माफ
सजा माफ होने के बाद शनिवार की देर रात करीब आठ बजे मुकेश तिवारी की रिहाई हो गई।

बलिया, जेएनएन। साक्ष्‍य के अभाव में चौदह बरस तक जेल की सजा काटने के बाद आखिरकार अदालत की ओर से न्‍याय मिला तो रिहाई के बाद परिजनों की आंखें भी भर आईं। पुलिसिया जांच में लापरवाही का खामियाजा भुगतने के बाद भी साक्ष्‍य न मिल पाने के बाद भी दशक भर से अधिक समय तक जेल में रहने को विवश मुकेश के घर में मानो खुशियों ने अचानक दस्‍तक दे दी। 

हाईकोई से आजीवन कारावास की सजा माफ होने के बाद शनिवार की देर रात करीब आठ बजे मुकेश तिवारी की रिहाई हो गई। उन्होंने जेल के बाहर खुली हवा में सांस ली। वह 14 साल से जिला कारागार में सजा काट रहे थे। जेल से बाहर आते ही लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। इसके बाद घर रेवती जाने से पहले मां पंचरूखा देवी के मंदिर में मत्था टेका। घर पहुंच कर मां राजबढंती देवी व पिता राम प्रवेश तिवारी के पांव छूकर आशीर्वाद लिए। बेटे के पहुंचते ही मां-बाप के आंखों में आंसू आ गए वहीं पत्नी लक्ष्मी के चेहरे पर खुशी के आंसू थे। बेटी परी पापा...पापा कहते हुए गोद में जा बैठीं। उन्हें देखने के लिए काफी संख्या में मोहल्ले के लोग पहुंच गए। भाई सुशील तिवारी हर आने वालों की स्वागत में लगे रहे।

बता दें कि 2007 में नगर के वार्ड तीन निवासी प्रताप शंकर मिश्र उर्फ भोंदू मिश्र की जमीनी विवाद में हुई ह्त्या के आरोप में मुकेश को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। मोहल्ले के इंद्रजीत मिश्र व संजीव मिश्र को भी सजा हुई थी। ये दोनों पहले से जमानत पर थे। मृतक की पत्नी मनोरम देवी ने तीनों पर मुकदमा कायम कराया था। हाईकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में मुकेश तिवारी की सजा को माफ कर दिया। इस मौके पर समाजसेवी अभिज्ञान तिवारी, रानू पाठक, पप्पू पांडेय, मांडलू सिंह, राना प्रताप यादव दाढ़ी, शंभूकांत तिवारी, झाबर पांडेय आदि मौजूद थे।

मुकेश को हमेशा रहती थी परिवार की चिंता 

मुकेश तिवारी भावुक हो गए है। उन्होंने बताया कि मुझे न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद थी। माता-पिता व पत्नी ने हमेशा उत्साह बढ़ाया। जेल में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हमेशा माता-पिता, पत्नी व बच्चे की चिंता रहती थी। ईश्वर न करे, किसी निर्दोष को जेल जाना पड़े। यह सोचकर कष्ट होता है कि जिस घटना में शामिल न हो उसमें सजा मिल जाए। हाईकोर्ट ने मेरे साथ न्याय किया। जेल में गुजरे पल बहुत कठिन थे। वहां तरह-तरह के लोग सजा काट रहे हैं। मैंने खुद को हमेशा अलग ही रखा। आज अपने परिवार के बीच रहकर खुश हूं।

बोले जेल अधिकारी

जेल में मुकेश का व्यवहार ठीक ही रहा। सभी से मिल जुलकर रहते थे। प्रशासनिक आधार पर एकाध बार उनका स्थानांतरण गैर जनपद में हुआ। हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी रिहाई कर दी गई है।  -प्रशांत मौर्या, अधीक्षक, जिला कारागार बलिया 

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