घी, मसाला तेल सब मानक पर फेल, तमाम फैक्ट्रियां भी कर रहीं मिलावट खोरी का धंधा

तय दर का 100 फीसदी भुगतान करने के बाद भी ग्राहकों को 100 फीसदी गुणवत्ता वाला सामान नहीं मिल रहा।

By Vandana SinghEdited By: Publish:Fri, 31 May 2019 01:22 PM (IST) Updated:Sat, 01 Jun 2019 09:37 AM (IST)
घी, मसाला तेल सब मानक पर फेल, तमाम फैक्ट्रियां भी कर रहीं मिलावट खोरी का धंधा
घी, मसाला तेल सब मानक पर फेल, तमाम फैक्ट्रियां भी कर रहीं मिलावट खोरी का धंधा

जौनपुर, [अमरदीप श्रीवास्तव]।  मिलावटखोर ही नहीं बाजार में पैर जमा रहीं कुछ छोटी-बड़ी कंपनियां भी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। तय दर का 100 फीसदी भुगतान करने के बाद भी ग्राहकों को 100 फीसदी गुणवत्ता वाला सामान नहीं मिल रहा। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा दुकानों व फैक्ट्रियों में की गई छापेमारी में चौंकाने वाले आकड़े सामने आए हैं। मार्च 2018 से अब तक विभाग को मिले जांच रिपोर्ट में 50 फीसदी नमूने फेल पाए गए हैं। अधिकतर नमूने मानक की कसौटी पर खरे नहीं उतर सके। इनमें घी, मसाला, तेल, मिठाई, नमकीन, चिप्स, पापड़ व अचार शामिल हैं।

जांच के दायरे में जेल में बंदियों को मिलने वाले खाने के साथ एमडीएम को भी शामिल किया गया। जेल में तो सबकुछ ठीक मिला, लेकिन एमडीएम के कई नमूने फेल हो गए। रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि मिड-डे मील के नाम पर बच्चों को परोसे जाने वाला खाना मानकों कसौटी पर खरा नहीं है। खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन ने जांच की जद की में दुकानों समेत फैक्ट्रियों को भी लिया। सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र में मानकों की धज्जियां उड़ती मिली। चिप्स, पापड़ व नमकीन जहां अधिक कलर युक्त पाया गया, वहीं खोवा में स्टार्च की अधिक मात्रा पाई गई।

अब तक की गई जांच

एक वर्ष में 1800 स्थानों में मारे गए छापेमारी में 289 नमूने लिए गए। इसमे 320 खाद्य पदार्थों की मिली रिपोर्ट में 154 मानकों के अनुरुप नहीं पाए गए। साथ ही एमडीएम व कस्तूरबा विद्यालय के भी लिए गए 219 नूमनों में 35 मानकों की कसौटी पर फेल हो गए। रिपोर्ट में जेल में बन रहे खाने में गड़बड़ी नहीं पाई गई।

133 दुकानदारों के खिलाफ दर्ज किया गया वाद

अभियान के तहत 133 दुकानदारों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में वाद दर्ज किया गया, जिसमे 65 पर सात लाख 68 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा 50 लोगों को नोटिस जारी किया गया है। न्यायालय की ओर से मिलावट की इस धंधे को गंभीरता से लिया गया। तमाम मामले अभी भी विचाराधीन है।

रिपोर्ट आने तक खप जाता है मिलावटी सामान2013 में लागू हुए नए एक्ट में व्यापारियों को काफी सहूलियत मिल गई है। संदेह होने पर अधिकारी सैंपल को जांच के लिए भेज सकते हैं। जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक संबंधित व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। अधिकतम 15 दिन में जांच रिपोर्ट तैयार करने का प्रावधान है, लेकिन संसाधनों की कमी से कई बार रिपोर्ट आने में चार महीने तक का वक्त लग जाता है। ऐसे में जब तक किसी खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी की जानकारी होती है, तबतक वह बिक चुका होता है।

आम लोगों की सेहत पर विभाग पूरी तरह सतर्क है। मिलावट खोरों पर शिकंजा कसने के लिए प्रत्येक माह अभियान चलाया जाता है। अब तक बड़े पैमाने पर दुकानदारों पर कार्रवाई की गई है, जो आगे भी जारी रहेगा। मिलावटी सामान की शिकायत ग्राहक भी कर सकते हैं। मिड-डे मील की रिपोर्ट को बीएसए व डीआईओएस को भेज दिया गया है। अनिल कुमार राय, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी।

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