धूमधाम से मनाया गया गुरुनानक देव महाराज का 550वां प्रकाश उत्सव, सजी गुरुग्रंथ साहिब की झांकी

सिक्ख धर्म के संस्थापक व पहले गुरु गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाशोत्सव गुरुपर्व मंगलवार को गुरुद्वारा गुरुबाग में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 02:53 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 02:53 PM (IST)
धूमधाम से मनाया गया गुरुनानक देव महाराज का 550वां प्रकाश उत्सव, सजी गुरुग्रंथ साहिब की झांकी
धूमधाम से मनाया गया गुरुनानक देव महाराज का 550वां प्रकाश उत्सव, सजी गुरुग्रंथ साहिब की झांकी

वाराणसी, जेएनएन। सिक्ख धर्म के संस्थापक व पहले गुरु गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाशोत्सव 'गुरुपर्व' मंगलवार को गुरुद्वारा गुरुबाग में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। सिख समाज के लोगों ने एक दूसरे को बधाईयां देते हुए मिष्ठान वितरित किए। इस उपलक्ष्य में गुरुद्वारा गुरुबाग को झालरों व फूलों से बेहद आकर्षक ढंग से सजाया गया था। पानी के फव्वारे, रंग-बिरंगे फूलों व झिलमिल रोशनी में गुरुद्वारे की छटा अलौकिक नजर आई, जिसे निहारने लोग उमड़ पड़े। अलसुबह साढ़े तीन बजे बड़ी श्रद्धा व उत्साह संग गुरुग्रंथ साहिब जी का भव्य सुहाना स्वागत फूलों से सजी पालकी में कीर्तन भजन से किया गया। नाम सिमरन, कीर्तन आसा दी वार के बाद अखंड पाठ साहिब दोपहर तक चला।

गुरु चरनन की धूलि से धन्य भई काशी

इतिहास के पन्नों की गवाही-साखी के मुताबिक स्वयं गुरुनानक देव जी के अलावा पंथ के नौवें गुरू तेग बहादुर जी (1660) व दशमेश गुरू गोविंद सिंह जी साहेब बालपन (सात वर्ष की आयु) में पटने साहेब से पंजाब जाते हुए काशी की पुण्यभूमि का धूलि वंदन कर चुके हैं। प्रमाणों के अनुसार गुरुनानक देव जी ने अपनी प्रथम उदासी (यात्रा) के दौरान (1563 विक्रमी संवत) में महाशिवरात्रि के दिन गुरुबाग के एक चबूतरे पर संगत रमा कर-नाम जपन, बांटकर खाना तथा सत्संग की अलख जगाई। गुरू तेग बहादुर जी साहेब नीचीबाग गुरुथान पर पधारे।

chat bot
आपका साथी