पीतांबरी हुआ परिसर, अब साधना को साकार करने का सपना

जागरण संवाददाता, वाराणसी : एक लंबे अर्से की साधना के बाद जब मेधावियों का मेडल मिला तो उनका उत्साह दे

By Edited By: Publish:Wed, 25 Nov 2015 01:30 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2015 01:30 AM (IST)
पीतांबरी हुआ परिसर, अब साधना को साकार करने का सपना

जागरण संवाददाता, वाराणसी : एक लंबे अर्से की साधना के बाद जब मेधावियों का मेडल मिला तो उनका उत्साह देखते ही बन रहा था। किसी की आखें नम हुई तो कोई खुशी में ईष्ट देव को नमन करता दिखा। इन खुशियों के बीच सभी अपने सपने को साकार करने का तानाबाना में एक दूसरे से सलाह मश्रि्वरा करते दिखे।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का पूरा परिसर जश्न में डूबा था। दीक्षांत समारोह में गुरुजनों, मेधावियों के पीले वस्त्र धारण करने की वजह से पूरा परिसर पीताम्बरी बना हुआ था। वहीं सिर पर गांधी टोपी मेधावियों को अनुभूतियों को ऐसी ताजगी दिए हुए था कि रह-रहकर उनके होठों पर मुस्कान आ ही जाती। उपाधियों पर लिखे शब्दों को पढ़ते, मोबाइल व कैमरे से फोटो भी खिंचाते। महात्मा गांधी की प्रेरणा, राष्ट्ररत्‍‌न शिव प्रसाद गुप्त व भगवान दास के संकल्पों से ओतप्रोत काशी विद्यापीठ में आज विद्यार्थियों का सबसे बड़ा उत्सव था। कुलाधिपति ने जब मेधावियों के गले में गोल्ड मेडल डाला और हाथों में उपाधि दी तो उनके चेहरे खिल उठे। मंच से मेडल व उपाधि लेते वक्त मेधावियों के चेहरे पर शिष्टाचार की खामोशी, सिर झुके रहे। इस दौरान मेधावी कुलाधिपति, कुलपति और मुख्य अतिथि से पैर छूकर आर्शीवाद भी लेते रहे। वहीं समारोह के समाप्त होते ही मेधावी उछल पड़े।

मानविकी संकाय बने भव्य दीक्षांत मंडप में कुलसचिव ओमप्रकाश के नेतृत्व में शिष्टयात्रा ने दीक्षांत मंडप में सुबह करीब 11.05 बजे प्रवेश किया। इसमें विश्वविद्यालय सभा, विद्यापरिषद, कार्यपरिषद के सदस्य के अलावा विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, कुलपति, मुख्य अतिथि व कुलाधिपति चल रहे थे। शिष्ट यात्रा का स्वागत विद्याथियों ने खड़े हो कर किया। वापसी में शिष्ट यात्रा का नेतृत्व कुलाधिपति ने किया। अतिथियो के मंचासीन होने के बाद कुलसचिव ने कुलाधिपति से समारोह को आरंभ करने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद क्रम से संकायाध्यक्षों ने वर्ष- 2015 के पीएचडी, स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को संकायवार उपाधि देने की घोषणा की। समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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