बेटी की हत्या कर फंदे पर झूले अभियंता
वाराणसी : डीजल रेल कारखाना परिसर में शुक्रवार की सुबह दिल दहलाने वाली थी। क्वार्टर नंबर 488 ए में रह
वाराणसी : डीजल रेल कारखाना परिसर में शुक्रवार की सुबह दिल दहलाने वाली थी। क्वार्टर नंबर 488 ए में रहने वाले सीनियर सेक्शन इंजीनियर संतोष कुमार सिंह (52) ने अपनी 11 साल की बेटी साक्षी की हत्या के बाद खुद फांसी लगाकर जान दे दी। उनके कमरे से जो तीन पन्ने का सुसाइड नोट मिला है, उससे पता चलता है कि घर में छह माह के अंदर हुई तीन मौतों से उनपर निराशा पूरी तरह हावी हो चुकी थी।
हैवी मशीन शॉप में कार्यरत संतोष बेटी साक्षी, जल संस्थान में ठेकेदारी करने वाले भाई कमलेश और उनके परिवार के साथ रहते थे। सुबह लगभग चार बजे कमलेश की पत्नी मीनू क्वार्टर के पिछले हिस्से में गई तो उन्हें वहां आम के पेड़ पर कुछ लटके होने का आभास हुआ। वह भागते हुए अंदर गई और पति कमलेश को इस बारे में बताया। कमलेश टार्च लेकर वहां पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। बड़े भाई संतोष नॉयलोन की रस्सी के सहारे गंजी और लुंगी में पेड़ से लटक रहे थे। वे भागकर अंदर कमरे में पहुंचे तो उनके पैरों के नीचे से मानो जमीन खिसक गई। बेड पर उनकी 11 साल की भतीजी वैष्णवी उर्फ साक्षी मृत पड़ी थी और उसके पेट पर तकिया पड़ा था।
कई मौतों से टूट चुके थे संतोष
कमलेश के मुताबिक भाई के साथ दिसंबर 2014 से मई 2015 तक इतना बुरा हुआ कि किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। दिसंबर में संतोष के दूसरे बेटे विवेक सिंह उर्फ नंदन की बीमारी के चलते मौत हो गई। इससे वे उबर भी नहीं पाए थे कि कैंसर का इलाज कराने के बाद ठीक हो चुकी पत्नी कुमुद की अचानक तबीयत बिगड़ी और अप्रैल में उन्होंने भी संतोष का साथ हमेशा के लिए छोड़ दिया। पिता गोवर्धन सिंह ने संतोष को सहारा दिया, लेकिन इसी साल मई में पिता ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
बेटी है इसलिए ले जा रहा हूं साथ
संतोष के कमरे से मिले सुसाइड नोट को जिसने पढ़ा, वह हिल गया। संतोष ने लिखा है कि मैं अपने जीवन में तीन बड़ी विपदाओं का सामना कर चुका हूं। दो बार तो मैं संभला, लेकिन अब नहीं बर्दाश्त होता। मैं अपनी प्यारी साक्षी के साथ न्याय नहीं कर सकता। साक्षी को मैं बहुत प्यार करता हूं, इसलिए इसे भी अपने साथ लेकर जा रहा हूं। साक्षी अगर लड़का होती तो संभव था कि मैं अकेले पाल लेता, लेकिन दुर्भाग्य है कि ऐसा नहीं है। इसलिए यह कदम उठा रहा हूं।
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पिता व पुत्री की मौत
से कर्णछपरा अवाक
जासं, बैरिया (बलिया) : संतोष कुमार सिंह और उनकी बेटी की मौत की खबर सुन दोकटी थाना क्षेत्र के उनके गांव कर्णछपरा का हर निवासी अवाक रह गया। पूर्वोत्तर रेलवे में गार्ड पद से अवकाश प्राप्त गोवर्धन ¨सह के दो पुत्र संतोष ¨सह व कमलेश ¨सह हैं। गांव में उनके मकान में ताला लगा रहता है। पूरा परिवार वाराणसी में ही रहता है। संतोष की पहली शादी पडरौना हुई थी। पहली पत्नी की मौत के बाद उन्होंने बिहार के सिवान जिले में दूसरी शादी की। पिछले कुछ वर्षो से उनके घर में लगातार असामयिक मौतों का सिलसिला जारी है। उनकी दोनों पत्नियां, पुत्र की असामयिक मौत के बाद पुत्री की हत्या व खुदकशी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।