हुदहुद ने तोड़ दी है किसानों की कमर
वाराणसी : इस बार मौसम ने किसानों को जमकर तोड़ा है। पहले सूखे ने मारा तो किसी तरह से फसल बचाई। इसके बा
वाराणसी : इस बार मौसम ने किसानों को जमकर तोड़ा है। पहले सूखे ने मारा तो किसी तरह से फसल बचाई। इसके बाद बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान हुदहुद ने पूर्वाचल पर भी आक्रमण कर दिया। ऐन फसल पकने के वक्त इतना पानी गिरा दिया कि फसल डूब गई। काटकर खेत में रखी गईं फसलों के सड़ने की स्थिति बन गई तो जो फसलें खड़ी थीं वे लोट गईं। आलू भी सड़ने लगा। हालांकि किसान महज इस बात से खुद को संतुष्ट मान सकते हैं कि अगली फसल की बोआई के लिए उनके खेत नम हो गए हैं। उनकी गृहस्थी अगली फसल पर ही टिकी है।
कृषि विज्ञान संस्थान (बीएचयू) के पूर्व निदेशक प्रो. शिवराज सिंह धान में लगभग 25 फीसद, दलहन में 40, आलू में 40 फीसद नुकसान की आशंका जताते हैं। यह भी आशंका जताते हैं कि मौसम की यह मार महंगाई का झटका तो देगी ही। हालांकि किसानों की पीड़ा को समझते हुए उनका दर्द हरने के लिए कुछ यूं सलाह देते हैं 'मौसम पर किसी का वश नहीं, अब जो होना था हो चुका है, हां यह जरूर है कि हुदहुद ने खेतों की मिंट्टी नम् कर दी है.. और अब इसका लाभ किसानों को लेना चाहिए।'
चोलापुर ब्लाक के किसान शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि हुदहुद ने कमर तोड़ दी है। बाजरा और गन्ने की फसल से जो मिल जाए उसे ही बहुत मानना है। सूखा और तूफान के आक्रमण ने गृहस्थी लूट ली है। संतोष सिर्फ इसी बात का है कि गेहूं, तिलहन की बोआई के लिए मिंट्टी नम हो गई है। वैसे इस बार मौसम ने खेती को जमकर पीटा है और चोट किसान को लगी है।