मासूमों पर निमो कॉकस वायरस का हमला, बढ़े पीड़ित

------ जागरण संवाददाता, उन्नाव : ठंड के साथ ही मासूमों पर निमोनिया फैलाने वाले निमो का

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 11:34 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 11:34 PM (IST)
मासूमों पर निमो कॉकस वायरस का हमला, बढ़े पीड़ित
मासूमों पर निमो कॉकस वायरस का हमला, बढ़े पीड़ित

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जागरण संवाददाता, उन्नाव :

ठंड के साथ ही मासूमों पर निमोनिया फैलाने वाले निमो कॉकस वायरस का हमला तेज हो गया है। दो वर्ष तक के बच्चे तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। जिला चिकित्सालय में पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए शिशु देखभाल सप्ताह मना रहा स्वास्थ्य महकमा वायरस के बढ़ते हमले के प्रति संजीदा नहीं दिख रहा। सरकारी अस्पतालों में इस वायरस से बचाने के लिए वैक्सीन नहीं है। बच्चों की सीरप भी नहीं है।

नवजात से लेकर दो वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया अधिक होता है। मासूमों पर वायरस के हमले का असर यह है कि निमोनिया और कोल्ड डायरिया से पीड़ित दस से बारह बच्चे प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में बीमार बच्चों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। जिला अस्पताल में तैनात तीन बाल रोग विशेषज्ञों के मुताबिक हर दिन 30 से 40 बच्चे ठंड लगने से बीमार होकर आ रहे हैं, जिनमें निमोनिया के लक्षण मिल रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरके रमन ने बताया कि औसतन दो वर्ष से कम आयु के 25-30 बच्चे प्रतिदिन ओपीडी में आ रहे हैं। 15 से 20 बच्चे निमोनिया से पीड़ित होते हैं। उधर, एसएनसीयू के डॉ. बीके गुप्ता ने बताया कि हर दिन तीन से चार नवजात शिशु ठंड लगने से बीमार होकर आ रहे हैं।

प्रतिरक्षण अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉ. नरेंद्र ¨सह ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में अभी इस वायरस से बचाव का टीका नहीं लगता है। प्रदेश के 11 जिलों के सरकारी अस्पतालों में इससे बचाव के लिए टीके लगाने की शुरुआत पायलेट प्रोजेक्ट के तौर शुरू हुई है, जिनमें उन्नाव शामिल नहीं है।

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जागरूकता के सहारे निमोनिया से बचाव

शिशु देखभाल सप्ताह के तहत आशा, एएनएम तथा स्टाफ नर्स माताओं को ठंड से बचाव कर बच्चों को निमोनिया से बचाने की सलाह दे रही हैं। यह अभियान भी औपचारिकता तक सीमित है।

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ऐसे करें बचाव

नवजात से लेकर तीन वर्ष तक के मासूमों को ठंड से बचाने के लिए बेहद सर्तक रहना होगा। इस मौसम में निमोनिया और कोल्ड डायरिया का खतरा अधिक होता है। बच्चों को हर बार बोतल गर्म पानी में खौला कर गुनगुना दूध ही दें। सुबह शाम फुल आस्तीन का ऊनी कपड़ा पहनाएं। कान और पैर टोपा और मोजा से ढंक कर रखें। बच्चे की नाक से पानी, पसली चलने या सांस लेने में खड़खड़ की आवाज आए तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं।

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सोमवार से शनिवार तक अस्पताल पहुंचे बच्चे

दिन-------बीमार बच्चे------निमोनिया के लक्षण

सोमवार-----79----------------15

मंगलवार----122---------------25

बुधवार------142----------------27

गुरुवार------168----------------32

शुक्रवार-----178----------------35

शनिवार-----182----------------37

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