मंदिर के पट बंद फिर भी उमड़ी आस्था

संवादसूत्र मगरवारा कोरोना काल में भी सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों का भगवान शिव के प्रति

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Jul 2020 08:38 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jul 2020 06:13 AM (IST)
मंदिर के पट बंद फिर भी उमड़ी आस्था
मंदिर के पट बंद फिर भी उमड़ी आस्था

संवादसूत्र, मगरवारा: कोरोना काल में भी सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों का भगवान शिव के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं दिखी। मंदिर के बंद होने के बावजूद मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। कुछ स्थानों पर बाहर से ही जलाभिषेक किया जा रहा है तो कुछ जगह मंदिर में एक बार में कुछ लोगों को दर्शन करने की अनुमति है। इसी के चलते उन्नाव जिले का प्रमुख शिव मंदिर मगरवारा स्थित गोकुल बाबा पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। प्रशासन की ओर से मंदिर के कपाट को खोलने की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु शिवलिग के बाहर से दर्शन कर मंदिर के द्वार से ही भोलेनाथ को जल अर्पित कर रहे हैं। कोरोना के चलते मंदिरों में भक्तों की ज्यादा भीड़ नजर नहीं आई। वहीं, बम भोले के जयकारों से मंदिर परिसर गूंजता रहा। मंदिर के पुजारी शिव कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर में भक्तों का प्रवेश रोक दिया गया है। भक्तों को मंदिर के गेट से शिवलिग के दर्शन करा बाहर ही जल अर्पित कराया जा रहा है। सभी प्रकार के कार्यक्रम मंदिर परिसर में करने की मनाही है। बीस साल बाद सावन में पड़ी है इस तरह की अमावस्या

सावन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जब अमावस्या सोमवार के दिन आता है तो इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है वहीं, सोमवती अमावस्या भी है। इस अमावस्या का संबंध प्रकृति, पितृ और भगवान शंकर से है। कहा जाता है कि यह अमावस्या बीस साल बाद पड़ी है। और इस बार सावन में पांच सोमवार है। इस दिन की मानता है कि पीपल में जल, दूध चढ़ाने से पितृ शांत होते हैं। आज के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर विधि विधान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। सुहागन महिलाएं सिदूर सहित माता पार्वती की पूजा करती है। मान्यतानुसार इस दिन हरी चूड़ियां, सिदूर, बिदी बांटने से सुहाग की आयु लंबी होती है और साथ ही घर में खुशहाली आती है। इस दिन गंगा में स्नान के बाद पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा के साथ ही पीपल के वृक्ष की परिक्रमा भी करते हैं। तथा मालपुआ का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। इसके बाद शाम को भोजन ग्रहण कर व्रत खोलते हैं।

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