एनएचएआई अनजान, खतरे में राहगीरों की जान

शुक्लागंज, संवाद सहयोगी : कानपुर-लखनऊ हाईवे पर क्षतिग्रस्त पुलिया का निर्माण कार्य तो शुरू करा दिया

By Edited By: Publish:Fri, 31 Oct 2014 01:25 AM (IST) Updated:Fri, 31 Oct 2014 01:25 AM (IST)
एनएचएआई अनजान, खतरे में राहगीरों की जान

शुक्लागंज, संवाद सहयोगी : कानपुर-लखनऊ हाईवे पर क्षतिग्रस्त पुलिया का निर्माण कार्य तो शुरू करा दिया गया है पर विभाग की जरा सी लापरवाही राहगीरों की जान के लिए खतरा बन सकती है। हाइवे पर स्थित त्रिभुवनखेड़ा पुलिया का जितना भाग क्षतिग्रस्त है सिर्फ उतने के निर्माण का ठेका उठाया गया है। जबकि पुलिया के नीचे का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। निर्माण कार्य के जानकारों की मानें तो ऐसे में एनएचएआई को कोई रिस्क न लेकर पूरी पुलिया का निर्माण कार्य कराना चाहिए। पुलिया का पूरा निर्माण कराए जाने के पीछे एक कारण यह भी है कि यह पुलिया सालों पहले पुराने मानकों के आधार पर बनाई गई थी। जबकि, अब इसी पुलिया से रोजाना सैकड़ों ओवरलोड वाहन गुजरते हैं और आरटीओ विभाग से¨टग गे¨टग का खेल कर वाहनों को रवाना कर देता है।

बता दें करीब दो सप्ताह पहले मौरंग लदा ट्रक इस पुलिया पर धंस गया था। इससे पुलिया बीचो बीच बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। नेशनल हाईवे पर यातायात प्रभावित होते ही शुरुआत में इस बात को एनएचएआई ने बड़ी ही गंभीरता से लिया था पर देखते ही देखते इतना समय बीत गया। पूर्व में कार्य करने वाले ठेकेदार ने बताया था कि एनएचएआई ने पूरी पुलिया का निर्माण कार्य कराने से मना कर सिर्फ क्षतिग्रस्त भाग की मरम्मत का ठेका उठाया था। जबकि, ठेकेदार ने जागरण से बातचीत में बताया कि पुलिया नीचे से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है, जिससे पूरी पुलिया का निर्माण कार्य कराना अति आवश्यक है। ठेकेदार के अनुसार पूरी पुलिया का निर्माण कार्य न होने से मरम्मत के बाद पुलिया में मजबूती न आ पाती और इसकी जिम्मेदारी ठेकेदार की ही होती। इसलिए ठेकेदार ने कार्य को बीच में ही छोड़ दिया। इसके बाद एनएचएआई ने पुलिया निर्माण का ठेका गैमन इंडिया के ठेकेदार को दिया है। गुरुवार को मौके पर मौजूद पीएनसी के अरुण कुमार ने बताया कि पूर्व में काम कर रहे ठेकेदार ने काम इसलिए छोड़ा है क्योंकि उसके पास काम करने के लिए बड़ी मशीनें नहीं है और हाईवे पर काम को जल्द ही खत्म करना है। हालांकि, उन्होंने भी पूरी पुलिया के निर्माण की बात से इन्कार किया है। बताया पुलिया के सेंटर से पांच-पांच मीटर दोनों ओर तक बढ़ा कर मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा। जानकारों की मानें तो पुलिया के इतने निर्माण में करीब पांच लाख रुपए तक का खर्च आएगा।

ओवरलो¨डग पर नहीं किसी की नजर

त्रिभुवन खेड़ा पुलिया का निर्माण करीब 40 साल पहले पुराने मानकों के आधार पर कराया गया था। उस वक्त इस पुलिया को करीब सौ टन तक के वजन को सहने योग्य बनाया गया था। जबकि, समय के साथ साथ इस पुलिया से इससे ज्यादा भार ढोकर ले जाया जाने लगा। दिन हो या रात इस मार्ग से धड़ल्ले से ओवरलोड वाहनों को ले जाया जाता है। खासकर कानपुर से उन्नाव व लखनऊ की ओर जाने वाले ओवरलोड वाहनों की संख्या ज्यादा रहती है और यही कारण है कि इस ओर की पुलिया क्षतिग्रस्त होकर धंस गई। जबकि, समांतर कानपुर की ओर आने वाली पुलिया अभी भी ठीक अवस्था में है। सूत्रों की मानें तो लौटने वाले वाहन ओवरलोड नहीं होते हैं, जिससे पुलिया सालों साल ठीक से चल रही है।

ये तो वही बात हो गई कि चोर को न देखें और घरों के ताले मजबूत करते जाएं। पुलिया की मरम्म्त मानक के अनुसार कराया जा रहा है। ओवरलोड वाहनों को रोकने की आवश्यकता है।

- नवीन मिश्रा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई

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