बहनों ने की भाइयों के दीर्घायु होने की कामना

उन्नाव, जागरण संवाददाता : परंपरागत रूप से शनिवार को भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहन

By Edited By: Publish:Sat, 25 Oct 2014 08:45 PM (IST) Updated:Sat, 25 Oct 2014 08:45 PM (IST)
बहनों ने की भाइयों के दीर्घायु होने की कामना

उन्नाव, जागरण संवाददाता : परंपरागत रूप से शनिवार को भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाइयों को रोचना लगा उनके दीर्घायु होने की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दे उनका आर्शीवाद लिया।

सुबह से ही घरों में चौक और दूज रखकर बहनों ने विधिविधान पूर्वक पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के बाद अपने-अपने भाइयों के यशस्वी होने का वरदान मांगा। पूजा अर्चना के बाद भाइयों को रोचना कर मुंह मीठा करा उनके दीर्घायु होने की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को तोहफा देकर उनका आशीर्वाद लिया। सुबह से लेकर देर रात तक रोचना टीका कराने का सिलसिला चलता रहा। भाई दूज होने से मिठाई दुकानों पर खासी भीड़ देखने को मिली।

नवाबगंज में भैयादूज पर बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन दिया। भारी भीड़ के चलते यात्रियों को दिक्कतें रहीं।

बहनों को मिले बेबसी के आंसू

कारागार में बंद भाइयों को रोचना कर बहनों ने मुह मीठा कराया इसके बदले में कारागार में बंद भाइयों से उन्हें बेबसी के आसुओं का तोहफा मिला। कारागार में बंद भाइयों को टीका लगाने के लिए सुबह से कारागार परिसर में महिलाओं की लाइन लगने लगी थी। मिलाई की पर्ची लगाने के बाद उन्हें घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ी। इसके बाद बहनों को लाइन लगानी पड़ी। घंटों के इंतजार के बाद बहनें कारागार के अंदर पहुंची तो अपने भाइयों को सामने देख वह आंसू नहीं रोक पाई। स्वयं पर नियंत्रण कर बहनों ने भाइयों का रोचना कर मुंह मीठा कराया। इसके बदले में भाइयों के पास तोहफे में देने के लिए कुछ भी नहीं था इससे उनके बेबसी के आसूं छलक पड़े। कारागार प्रशासन के अनुसार दो पालियों में 190 बहनों को प्रवेश दिया गया जिन्होंने कारागार में अपने भाइयों को रोचना किया।

बहन के घर भोजन करने से दीर्घायु होता है भाई

नवाबगंज : इस तिथि को यमुना स्नान यमराज के भय से मुक्त करता है। बहन के घर भोजन करने से भाई दीर्घायु होता है। इससे बहन का सौभाग्य बढ़ता है। ब्रह्मा जी द्वारा गयाधाम में यज्ञ किए जाने की बेला में सभी तीर्थों के साथ यमुना तीर्थ का भी आह्वान हुआ था। गया-शेरघाटी मार्ग में विष्णुगंज ग्राम के पास यमुना नदी के यमकरण घाट पर यमुना तीर्थ है। यहां भैयादूज को यमुना स्नान होता है। भैयादूज पर्व पर मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना स्नान विश्व प्रसिद्ध है। इस तिथि को यमराज अपनी सगी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने अपने भाई के ललाट में तिलक लगाया व आदर पूर्वक भोजन कराया था। बहन यमुना के वरदान मांगने पर यमराज ने कहा था कि आज यमुना नदी में मथुरा के विश्राम घाट पर स्नान करने वाला यमलोक नहीं जाएगा। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने यहां विश्राम किया था। इससे विश्राम घाट को तीर्थ माना गया। इस तिथि को यमुना स्नान व बहन के हाथ से भोजन करना शस्त्र विहित है। सगी बहन नहीं रहने पर चचेरी, ममेरी, मौसेरी अथवा फुफेरी बहन के हाथों से बना भोजन तथा उसे दक्षिणा देकर संतुष्ट करना कल्याण कारक है। इससे भाई की सभी अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।

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