...जब अटल जी ने खुद कुएं से निकालकर पिया पानी और इक्के से पहुंचे सुल्तानपुर

सुलतानपुर खुद निकालकर कुएं से पानी पीने और इक्के की यात्रा से लेकर उनके पचास मिनट लंबे अंतिम भाषण की थाती समेटे है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Thu, 16 Aug 2018 06:08 PM (IST) Updated:Thu, 16 Aug 2018 06:11 PM (IST)
...जब अटल जी ने खुद कुएं से निकालकर पिया पानी और इक्के से पहुंचे सुल्तानपुर
...जब अटल जी ने खुद कुएं से निकालकर पिया पानी और इक्के से पहुंचे सुल्तानपुर

सुल्तानपुर (जेएनएन)। सुलतानपुर खुद निकालकर कुएं से पानी पीने और इक्के की यात्रा से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पचास मिनट लंबे अंतिम भाषण की थाती समेटे है। भारतीय जनसंघ के दिनों से अटल बिहारी वाजपेयी का सुलतानपुर से नाता रहा। 50 वें दशक में जब वे जौनपुर में संघ के प्रचारक थे तभी वे अक्सर यहां आते रहे और जब बरास्ते जनसंघ राजनीति में दस्तक दी तो भी अपनी ओजस्वी भाषण व प्रभावशाली व्यक्तित्व की वजह से लोगों के दिलों में जगह बना ली। 1951-52 में जब पहला आम चुनाव हुआ तो पूर्वांचल व अवध क्षेत्र में प्रचार की कमान उन्होंने संभाली थी। 1957 में भारतीय जनसंघ के तत्कालीन मंत्री रहे स्व.सभाबहादुर सिंह की पत्नी जिंदगी का शतक पूरा कर चुकीं वयोवृद्ध जनक दुलारी देवी बताती हैं कि आम चुनाव का समय था। रामलीला मैदान में उनकी चुनावी सभा थी। उस वक्त मोटरकार शहर में गिनेचुने लोगों के ही पास थी।

साधारण शाकाहारी भोजन 

वे ट्रेन से सुलतानपुर स्टेशन पर उतरे। पार्टी कार्यकर्ता मदनमोहन सिंह व गोकुल प्रसाद पाठक आदि उन्हें स्टेशन से दरियापुर स्थित मेरे आवास लेकर आए। यहीं पर अटल जी ने खुद अपने हाथों से कुएं से पानी निकाला और पिया। बैठक में बिछी दरी पर बैठकर सहयोगियों के साथ बैठकर शाकाहारी साधारण भोजन किया। जब सभा का समय हो गया तो वे इक्के से करीब सात मीटर दूर स्थित जनसभा स्थल रामलीला मैदान पहुंचे। उस वक्त उनके भाषण को सुनने हजारों की तादाद में लोग जमा हुए थे। कोई भी विधान सभा या लोकसभा चुनाव ऐसा न रहा हो जब वे यहां न पहुंचे हों।

सुल्तानपुर में अंतिम भाषण पचास मिनट 

आखिरी बार उन्होंने 1998 में पार्टी प्रत्याशी डीवी राय के समर्थन में खुर्शीद क्लब मैदान में ऐतिहासिक भाषण किया था। उस सभा में रिकार्ड भीड़ उमड़ी थी। भाजपा के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ.एमपी सिंह बताते हैं कि सुलतानपुर में उन्होंने अपना अंतिम भाषण करीब पचास मिनट लंबा था। कुर्सी पर बैठ उन्होंने अपना भाषण दिया था। जातिवाद पर अनूठे व चुटीले अंदाज में टिप्पणियां की थीं। ...जिसका असर हुआ और विपक्षी दलों के तमाम तीर व्यर्थ हो गए।   

chat bot
आपका साथी