'कलियुग में संजीवनी बूटी है श्रीमछ्वागवत कथा'

भदैंया (सुलतानपुर) : कलयुग में संजीवनी बूटी है श्रीमद्भागवत कथा। इसके सुनने और मनन करने से दूषित विच

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 May 2017 09:55 PM (IST) Updated:Thu, 25 May 2017 09:55 PM (IST)
'कलियुग में संजीवनी बूटी है श्रीमछ्वागवत कथा'
'कलियुग में संजीवनी बूटी है श्रीमछ्वागवत कथा'

भदैंया (सुलतानपुर) : कलयुग में संजीवनी बूटी है श्रीमद्भागवत कथा। इसके सुनने और मनन करने से दूषित विचार समाप्त हो जाते हैं और मन अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान होता है। यह उद्गार भदैंया के पांडेयपुर गौरा में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अपनी मधुर वाणी का रसास्वादन कराते हुए कथाव्यास पं. आशुतोष शास्त्री महराज ने व्यक्त किया। कहाकि सत्संग सबसे बड़ी भक्ति का साधन है। कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहाकि सत्संग विसमता और समता का बोध कराता है। सत्संग करने से अंधकार खत्म हो जाता है। कहा भी गया है बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। कथा व्यास ने कथा प्रसंग में बेटियों की महानता का वर्णन करते हुए कहाकि बेटियां बेटों से किसी मायने में कम नहीं हैं। शास्त्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढाने पर भी बल दिया। कहाकि ईश्वर से कुछ मांगना नहीं चाहिए तभी वह यथोचित फल देते हैं। इस अवसर पर दयाशंकर व गिरजाशंकर पांडेय ने पीठ की आरती उतारी। इस दौरान रमाशंकर पांडेय, करुणा शंकर, कृपाशंकर, संजीव, नरेंद्र, पंकज, विजय बहादुर, भगवान ¨सह, शौलैंद्र, उपेंद्र आदि मौजूद रहे।

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फोटो-- इनसेट..: भक्त की पुकार सुन दौड़े आते है भगवान

लम्भुआ : बधुपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन वृंदावन धाम से पधारे राष्ट्रीय कथाव्यास पवनदेव महाराज ने कहाकि भगवान श्रीकृष्ण भक्त वत्सल हैं। भक्तों की करूण पुकार सुनकर दौड़े चले आते हैं। इसीलिए भगवान का सुमिरन मन से करना चाहिए। आगे कथा के प्रसंग में महारास लीला को बड़े सुंदर ढंग से सुनाया। कहाकि रास किसी स्त्री पुरुष के मिलन की कथा नहीं है, अपितु आत्मा से परमात्मा के मिलन की कथा है। बताया कि महारास की लीला के बाद भगवान मथुरा आकर कंस का उद्धार करते हैं। आने माता पिता वासुदेव और देवकी से मिलते हैं। कथा के छठें दिन बुधवार की रात आसपास के गांवों के भ श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। कथा के मुख्य यजमान देवी प्रसाद ¨सह, विनोद कुमार ¨सह, अर¨वद कुमार ¨सह, सुभम ¨सह, मानस ¨सह, दीपू ¨सह, बृजेश, भोला ¨सह आदि लोग मौजूद रहे।

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