मछली पालन भी है रोजगार का जरिया : गुप्त

दूबेपुर (सुलतानपुर) : मछली पालन भी रोजगार का जरिया है। ग्राम सभाओं में मौजूद तालाबों का उपयोग कर ग्र

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Mar 2017 10:27 PM (IST) Updated:Tue, 28 Mar 2017 10:27 PM (IST)
मछली पालन भी है रोजगार का जरिया : गुप्त
मछली पालन भी है रोजगार का जरिया : गुप्त

दूबेपुर (सुलतानपुर) : मछली पालन भी रोजगार का जरिया है। ग्राम सभाओं में मौजूद तालाबों का उपयोग कर ग्रामीण फायदा उठा सकते हैं। इसके लिए सरकार भी तरह-तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। यह बातें मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार गुप्ता ने मंगलवार को कही। वे मत्स्य पालकों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर बोल रहे थे।

राष्ट्रीय मत्स्यकीय विकास बोर्ड योजनांतर्गत अहिमाने स्थित कृषि भवन में लम्भुआ के मत्स्य पालकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मंगलवार को समाप्त हो गया। समापन अवसर पर जिला विकास अधिकारी ब्रजकिशोर पाठक ने प्रशिक्षण हासिल करने वाले किसानों को प्रमाणपत्र वितरित किया। साथ ही विभिन्न योजनाओं की जानकारियां किसानों को दीं। मत्स्य निदेशक गुप्त ने एकीकृत मत्स्य पाल पर जोर दिया। कहाकि मछली पालन के साथ ही पशुपालन, सूकर पालन, कुक्कुट पालन, बत्तख पालन भी किया जा सकता है। जिससे तालाब के बंधों का भी उपयोग होगा और आमदनी भी बढ़ेगी। मत्स्य पालक विकास अभिकरण के तालाब उत्पादन विशेषज्ञ एसबी ने उत्पादकता बढ़ाने की वैज्ञानिक तकनीक बताया। तहसील प्रभारी मत्स्य बीएन तिवारी ने तालाबों के बंधों पर बागवानी व सब्जी की फसल लगाए जाने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में कुल तीस किसानों का चयन किया गया था, जिन्हें वैज्ञानिक पद्धति पर मछली पालन कर गुर सिखाया गया। अब वे अपने तालाबों में इसका प्रयोग कर अच्छा उत्पादन करें।

chat bot
आपका साथी