जीता कौन.हारा कौन..या केवल अंगड़ाई है

सुल्तानपुर : 'बीती निशा गुलामी की, आजादी का जब सूर्य उगा/ प्रश्नों के सूर्योदय ने जन-जन से यह प्रश्न

By Edited By: Publish:Mon, 23 Mar 2015 10:29 PM (IST) Updated:Mon, 23 Mar 2015 10:29 PM (IST)
जीता कौन.हारा कौन..या केवल अंगड़ाई है

सुल्तानपुर : 'बीती निशा गुलामी की, आजादी का जब सूर्य उगा/ प्रश्नों के सूर्योदय ने जन-जन से यह प्रश्न किया/जीता कौन है हारा कौन किसने सत्ता पाई है/ भावी भारत को देखा तुमने या केवल अंगड़ाई है.'। ये पंक्तियां हैं ¨हदी के प्रख्यात कवि पं.रामनरेश त्रिपाठी के कनिष्ठ पुत्र जयंत त्रिपाठी की जो उन्होंने त्रिपाठी जी की जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में सुनाई। मौका था स्व.कवि रामनरेश त्रिपाठी की जयंती समारोह का। जिसमें तमाम नामी-गिरामी कवियों, शायरों ने विसंगतियों, विद्रूपताओं पर अपने अंदाज में प्रहार किए।

पं.रामनरेश त्रिपाठी स्मृति सेवा संस्थान एवं अयोध्या शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ बूचा फिरोजाबादी की सरस्वती वंदना से हुआ। डीएम मिश्र ने सुनाया 'प्यार मुझको भावना तक ले गया, कामना को वंदना तक ले गया।' बूचा फिरोजाबादी की ये पंक्तियां 'अगला जीवन किसने देखा, वर्तमान खुलकर जीना है, चाहे जहर मिले या अमृत बिना होंठ के पीना है' सराही गई। दीनानाथ रंग की पंक्तियां 'यदि आज न सोचा तो कभी हल न मिलेगा, झरना-नदी तो दूर कहीं नल न मिलेगा' ने सोचने पर मजबूर कर दिया। जटायु ने देश को समर्पित कविता 'उस लोकतंत्र को बचाइए' सुनाकर वाहवाही लूटी। नरेश शुक्ल 'काश ऐसी कोई हवा तो चले.. ' मनोराम पांडेय की 'चंदा कहे चकोरी से.', शायर मन्नान की पंक्तियां 'फूल क्या पत्ती को भी मुस्कुराना आ गया' को खूब वाहवाही मिली। ओंकार नाथ द्विवेदी, अमन सुल्तानपुरी, अनवर, रफीउल्ला, आनंद प्रकाश कुंवर, ऊषा श्रीवास्तव, कासिद की भी रचनाएं सराही गई।

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