सुकृत क्षेत्र में खनन बंद होने से मजदूर झेल रहे आर्थिक तंगी

जागरण संवाददाता सुकृत (सोनभद्र) स्थानीय क्षेत्र में खनन बंद होने के चलते मजदूर आर्थिक तंगी झेल।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Nov 2020 06:08 PM (IST) Updated:Wed, 11 Nov 2020 06:08 PM (IST)
सुकृत क्षेत्र में खनन बंद होने से मजदूर झेल रहे आर्थिक तंगी
सुकृत क्षेत्र में खनन बंद होने से मजदूर झेल रहे आर्थिक तंगी

जागरण संवाददाता, सुकृत (सोनभद्र) : स्थानीय क्षेत्र में खनन बंद होने के चलते मजदूर आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर हो गए हैं। कोरोना महामारी के चलते काम बंद होने से बहुत से मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। नियमित रूप से बंद चल रही खदानों के कारण परोक्ष व अपरोक्ष रूप से जुड़े तमाम व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार लोग इसको लेकर मौन साधे हुए हैं। क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए क्षेत्र में बंद चल रही खदानों को चालू कराए जाने की मांग की है।

सुकृत में खनन क्षेत्र दिन प्रतिदिन खत्म होता जा रहा है। यहां पर कभी पत्थर की 87 खदानें हुआ करती थीं। अब महज आठ या नौ खदानें ही बची हैं। क्रशर बंद होने से खदाने नाम मात्र की रह गई हैं। सुकृत खनन क्षेत्र रोजगार के लिए बहुत बड़ा क्षेत्र था, लेकिन धीरे-धीरे सरकार की खनन नीति की वजह से यह सिमटता जा रहा है। इससे बेरोजगारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दुकान लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन करने वाले हजारों खनन मजदूर आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार आंख बंद किए हुए हैं। क्षेत्र के रामलखन, संतोष, गौरीशंकर, प्रेम व केदार ने बताया कि क्षेत्र में बंद चल रही खदानों को चालू कराए जाने के लिए कई बार मांग की गई, लेकिन इसके बाद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। क्षेत्रीय लोगों ने बंद चल रही खदानों को चालू कराए जाने की मांग की है। इससे क्षेत्र व आसपास के मजदूरों को रोजगार मिल सके। तीन हजार मजदूरों को मिला था रोजगार

सुकृत में जब सभी खदानें चलती थीं इससे जिले के साथ ही पड़ोसी राज्यों के तीन हजार मजदूरों को रोजगार मिलता था। यहां के लोग भी मजदूरी करके अपना भरण पोषण करते थे, लेकिन, जब से सरकार की नई नीति आई है, पट्टे धारकों को खनन कराना बड़ा ही मुश्किल काम हो गया है।

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