सोनांचल के शैलचित्रों को सुरक्षित करेगी प्रदेश सरकार

को दर्शाने वाले शैलचित्रों को सुरक्षित व संरक्षित करने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है। इसके लिए पुरातत्व विभाग ने कार्ययोजना भी तैयार कर लिया है। जिले भर के पहाड़ों व गुफाओं में बने चित्रों का आंकड़ा तैयार कर लिया गया है। पुरातत्व विभाग की टीम के साथ जिला प्रशासन लगातार संपर्क बनाए हुए है। पुरात्तव विभाग की टीम ने जिले के शैलचित्रों की पूरी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दिया है, जल्द ही इन्हे संरक्षित करने का काम शुरू हो जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jan 2019 07:06 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jan 2019 07:06 AM (IST)
सोनांचल के शैलचित्रों को सुरक्षित करेगी प्रदेश सरकार
सोनांचल के शैलचित्रों को सुरक्षित करेगी प्रदेश सरकार

प्रशांत शुक्ल

सोनभद्र : सोनांचल की सांस्कृतिक महत्व को दर्शाने वाले शैलचित्रों को सुरक्षित व संरक्षित करने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है। इसके लिए पुरातत्व विभाग ने कार्ययोजना भी तैयार कर ली है। जिले भर के पहाड़ों व गुफाओं में बने चित्रों का आंकड़ा तैयार कर लिया गया है। पुरातत्व विभाग की टीम के साथ जिला प्रशासन लगातार संपर्क बनाए हुए है। पुरात्तव विभाग की टीम ने जिले के शैलचित्रों की पूरी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दिया है, जल्द ही इन्हें संरक्षित करने का काम शुरू हो जाएगा।

सोनांचल के पहाड़ियां ऐतिहासिकता को समेटे हुएं हैं। इसी में है राक पें¨टग, जिले के पहाड़ियों आदमकाल में सैकड़ों ऐसे चित्र बने हैं। क्षेत्रीय पुरात्तव अधिकारी डा. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि जिले के पहाड़ियों में ऐतिहासिक राक पे¨टग को सहेजने के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रेषित किया गया है। इसके अलावा पर्यटन विभाग ने भी ऐसे सभी धरोहरों की सूची बनाकर शासन को प्रेषित किया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन ऐतिहासिक शैलचित्रों को सजाने व संवारने का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। बताया कि जिले के पंचमुखी, लखनिया दरी व नगवां ब्लाक स्थित शिव मंदिर पर बने शैलचित्रों को पहले से ही संरक्षित किया गया है, शेष को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

पांच हजार साल पुराने है शैलचित्र

पुरातत्व विभाग के अनुसार सोनभद्र में अब तक मिले शैलचित्र पांच हजार साल तक पुराने है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि जनपद में मिलने वाले शैलचित्र पांच हजार साल से लेकर 15 वीं सदी तक के हैं। जनपद में अब तक 300 से अधिक शैलचित्र को चिह्नित किया गया है। इसके अलावा भी कई ऐसे चित्र हैं जो अभी तक खोजे नहीं जा सके हैं, लेकिन उसका प्रयास चल रहा है। बताया कि कुछ चित्र ऐसे दुर्गम शैलचित्र हैं जहां पर जाने में बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

संरक्षण से बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या

जनपद के पहाड़ों में बने हजारों साल पुराने शैलचित्रों के संरक्षण से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसको ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग की टीम ने इसकी रिपोर्ट भी शासन को प्रेषित किया है। पर्यटन विभाग के अनुसार मुख्य मार्ग के आसपास के अधिकांश शैलचित्रों को संरक्षित करने के बाद वहां पर आमजन की सहज पहुंच के लिए मूलभूत सुविधाओं पर काम किया जा रहा है।

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