धौकीनाला गांव में सड़क व बिजली की सुविधा नहीं

म्योरपुर विकासखंड के मुर्धवा ग्रामसभा अंतर्गत धौकीनाला गांव अपनी दुर्दशा को लेकर आंसू बहा रहा है। आजादी के 71 वर्ष पूरे होने के बाद भी ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 10:34 AM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 10:34 AM (IST)
धौकीनाला गांव में सड़क व बिजली की सुविधा नहीं
धौकीनाला गांव में सड़क व बिजली की सुविधा नहीं

जागरण संवाददाता, रेणुकूट (सोनभद्र) : म्योरपुर विकास खंड के मुर्धवा ग्रामसभा अंतर्गत धौकीनाला गांव के लोग 71 वर्ष पूरे होने के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। विडंबना ही कहा जाएगा कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी यहां पर न बिजली पहुंची है ना ही सड़क बनाया जा सका है। गांव में सरकारी योजनाओं का बुरा हाल है। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना, के तहत एक भी ग्रामीण लाभान्वित नहीं हो पाया है। गांव में दर्जनों कच्चे और खपरैल के घरों में रहने वाले लोगों को पक्का आवास नहीं मिल सका है। यहां से होकर कई गांवों को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग गड्ढों में तब्दील हो गया है। बड़वान, निहाई पाथर, जोगीडीह, बेलहत्थी गांव को जोड़ने वाला रास्ता जर्जर हो गया है। बरसात के दिनों में स्थिति बद से बदतर हो जाती है। इस मार्ग से राहगीरों को आवागमन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कीचड़ और पानी से भरे गड्ढों में तब्दील सड़क पर हालात इस कदर बदतर हो जाता है जिससे लोग अपनी साइकिल को सिर पर उठाकर चलने को बाध्य हो जाते हैं। आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गांव में विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। अब भी इस टोले के लोग ढिबरी युग में जीने को विवश हैं। यहां के निवासी 70 वर्षों से अंधेरे में ¨जदगी जी रहे हैं। यही हाल गांव को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग का है। मुख्य मार्ग से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव में अब तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है। ग्रामीण पगडंडी और उबड़-खाबड़ भरे कच्ची सड़कों के सहारे आते जाते हैं। बरसात के दिनों में स्थिति नारकीय हो जाती है। बाइक, साइकिल से जाना तो दूर, पैदल चलना दुर्भर हो जाता है। 600 की आबादी वाले इस गांव में अधिकतर घरों में शौचालय नहीं बन पाए हैं। गांव में लगभग 25 बीपीएल परिवार हैं जिन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही।

गांव में शिक्षा का हाल खराब

गांव में शिक्षा का हाल खराब है। बच्चे रेलवे लाइन के सहारे छह-सात किलोमीटर की यात्रा करते हुए खाड़पाथर, मुर्धवा और रेणुकूट पढ़ने जाते हैं लड़कियां तो स्कूल जाने से भी कतराती हैं। जंगली रास्तों से जाने में मनचलों से छेड़खानी का भय हमेशा बना रहता है। खानापूर्ति के नाम पर यहां प्राथमिक विद्यालय है। सरकारी उपेक्षा के शिकार इस विद्यालय में टूटे-फूटे फर्श और फटे दरी पर बैठकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। विद्यालय परिसर में बना शौचालय गंदगी और मिट्टी से भरा पड़ा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान से कई बार शिकायत की गई लेकिन विद्यालय में कोई सुधार नहीं हुआ।

गांव की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे

मुर्धवा ग्रामसभा में चार गांव आते हैं। करीब तीस हजार की आबादी की आबादी वाले इस ग्राम सभा में चिकित्सा व्यवस्था का अभाव है। बीमार व्यक्ति का इलाज कराने के लिए रेणुकूट, म्योरपुर या जनपद मुख्यालय जाना पड़ता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य अजय राय ने बताया कि पंचायत भवन के समीप वर्षों पूर्व स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते भवन पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया है। कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत के बावजूद भी स्वास्थ्य केंद्र को दबंगों से मुक्त नहीं कराया जा सका। धौकी नाला, निहाई पाथर, बड़वान गांव के लोग मरीज को इलाज के लिए चारपाई पर लाते हैं कई बार अस्पताल पहुंचते-पहुंचते रोगी दम तोड़ देता है।

अभिशाप साबित हो रहा चेक डैम

वर्षभर जल स्तर बनाए रखने और ¨सचाई की सुविधा के लिए करीब 10 वर्ष पहले स्थापित चेकडैम ग्रामीणों के लिए अब मुसीबत बन गया है। बरसात के दिनों में चेक डैम का पानी ओवरफ्लो होकर ग्रामीणों के घरों में एवं खेतों में भर जाता है। कीचड़ और मिट्टी मिट्टी भरे पानी से ग्रामीणों की फसलें और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं।

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