आरोपित लेखपाल को ही सौंप दी गई जांच

जागरण संवाददाता गोविदपुर (सोनभद्र) बभनी थाना के कोंगा गांव के एक मामले ने जहां लेखपाल की करतूत को उजागर किया है वहीं समाधान दिवस पर मिली शिकायत को उसी कसूरवार लेखपाल को जांच का जिम्मा दिए जाने से अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 04:43 PM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 04:43 PM (IST)
आरोपित लेखपाल को ही सौंप दी गई जांच
आरोपित लेखपाल को ही सौंप दी गई जांच

जागरण संवाददाता, गोविदपुर (सोनभद्र) : बभनी थाना के कोंगा गांव के एक मामले ने जहां लेखपाल की करतूत को उजागर किया है, वहीं समाधान दिवस पर मिली शिकायत को उसी आरोपित लेखपाल को जांच का जिम्मा दिए जाने से अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

कोंगा गांव निवासी शंकर पुत्र मनराज व श्रीमत पत्नी मनराज ने समाधान दिवस पर लेखपाल की शिकायत की। उनका कहना था कि वे अपने जोत-कोड़ की दो बिस्वा जमीन झारखंड निवासी तुलसी सिंह पुत्र खान सिंह को बेचा था। खारिज दाखिल के लिए क्षेत्रीय लेखपाल से रिपोर्ट मांगी गई। उसके द्वारा शंकर से रिपोर्ट लगाने के एवज में 20 हजार रुपये की मांग की गई। उसने रुपये देने में असमर्थता जाहिर की तो लेखपाल ने धमकी दे दी कि ऐसी रिपोर्ट लिख दूंगा कि जिदगी भर परेशान हो जाओगे। शिकायतकर्ता का कहना है कि दूसरे पक्ष से धन लेकर लेखपाल ने ग्राम कोंगा में स्थित भूमि अराजी नं 5297 में सत्यनारायण पुत्र राधेश्याम का कब्जा लिख दिया। जबकि 5297 नंबर की जमीन शंकर के भाई रामदास द्वारा अपने शेयर का एक बटे तीन भाग रेशम सिंह को बेचा गया है। शंकर ने इसकी शिकायत समाधान दिवस पर तहसील दुद्धी में एक अक्टूबर को किया। सुनवाई न होने पर दूसरी बार 15 अक्टूबर को पुन: शिकायती पत्र दिया। अधिकारी ने इस मामले की जांच उसी गांव के क्षेत्रीय लेखपाल को दे दी जिसे शंकर व श्रीमत ने कसूरवार बताया है।

पीड़ितों ने जिलाधिकारी से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। लेखपाल अशोक जायसवाल का कहना है कि दोनों भाइयों की भूमि एक है लेकिन, गाटा संख्या अलग है। उसने किसी से भी रुपये की मांग नहीं की है।

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