बिरसा मुंडा की मनाई गई 143 वीं जयंती
- जन जातियों का इतिहास सबसे प्राचीन : रमेश बाबू जासं, बभनी (सोनभद्र) : चपकी स्थित सेवा समर्पण संस्थान में गुरुवार को भगवान बिरसा मुंडा की 143 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय श्रद्धा जागरण प्रमुख रमेश बाबू व अध्यक्षता धर्माचार्य गोड़वाना महासभा रामनाथ ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान बिरसा मुंडा के चित्र
जासं, बभनी (सोनभद्र) : चपकी स्थित सेवा समर्पण संस्थान में गुरुवार को बिरसा मुंडा की 143 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय श्रद्धा जागरण प्रमुख रमेश बाबू रहे। अध्यक्षता धर्माचार्य गोड़वाना महासभा रामनाथ ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इस दौरान चार ब्लाक बभनी, म्योरपुर, दुद्धी व चोपन से 25 ग्राम पंचायतों से 28 सोखा, पांच बैगा तथा 10 पुजारी और दो धर्माचार्य उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि रमेश बाबू ने कहा कि जनजातियों का इतिहास आदिकाल से चला आ रहा है। इन जनजाति लोगों की भूमिका सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में भी चल रही है। पूजा पाठ करने का उद्देश्य एक है। जनजाति ओझा, सोखा, बैगा और पुजारी श्लोक और संस्कृत का उच्चारण नहीं करते, लेकिन उनके पूजा करने का उद्देश्य एक ही। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज के लिए बिरसा मुंडा का जन्मदिन गौरवपूर्ण है। इस मौके पर रामनाथ, प्रांत सह संगठन मंत्री आनन्दजी, डा. लखनराम जंगली, कृष्णगोपाल, सीताराम, दीपनारायण ¨सह, जवाहरलाल योगी, जदुवीर ¨सह आदि रहे।