सामाजिक समरसता के पैरोकार थे संत गाडगे

सीतापुर : राष्ट्रीय संत गाडगे महाराज की 142वीं जयंती पर गुरुवार को मनाई गई। शहर के चित्रा तिराहे पर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Feb 2017 10:06 PM (IST) Updated:Thu, 23 Feb 2017 10:06 PM (IST)
सामाजिक समरसता के पैरोकार थे संत गाडगे
सामाजिक समरसता के पैरोकार थे संत गाडगे

सीतापुर : राष्ट्रीय संत गाडगे महाराज की 142वीं जयंती पर गुरुवार को मनाई गई। शहर के चित्रा तिराहे पर स्थित संत गाडगे की प्रतिमा पर धोबी समाज के लोगों ने फूल मालाएं चढ़ा कर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर राजेश कनौजिया ने कहा कि संत गाडगे इंसानियत के सच्चे पुजारी और निष्काम कर्म योगी थे। वह सामाजिक समरसता के प्रबल पैरोकार थे। उनके विचार नेक रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य मदन लाल कनौजिया ने कहा कि संत गाडगे ने बच्चों की शिक्षा पर विशेष रूप से जोर दिया था। उन्होंने सैकड़ों स्कूल कॉलेज खुलवाए। वे कहते थे कि असली पूजा घर तो शिक्षा मंदिर है जहां वास्तव में विद्यार्थी प्रभु की मूर्तियां है। दहेज प्रथा, बाल विवाह, छुआ छूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया। गोरक्षा को लेकर उन्होंने विशेष अभियान चलाया। इस दौरान दिलाराम दिवाकर, अर्जुन निर्मल, दिलीप कुमार कनौजिया, अवधेश कनौजिया, सरोज वर्मा, श्याम लाल कनौजिया, मदन गोपाल कनौजिया, सर्वेश कनौजिया सहित अन्य लोग मौजूद रहे। वहीं कृष्णा देवी मेमोरियल आदर्श बाल विद्यालय में भी संत गाडगे की जयंती मनाई गई।

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